बिहार चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है। एक तरफ जहां इस चुनाव में उन्हें 28 सीटों का नुकसान हुआ है वहीं दूसरी तरफर सरकार में शामिल तीन मंत्री बुरी तरह से पराजित हुए हैं। हारने वाले कद्दावर चेहरों में शहरी विकास मंत्री सुरेश शर्मा, समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह और शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा शामिल हैं।
मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट पर सुरेश कुमार शर्मा को कांग्रेस उम्मीदवार विजेंद्र चौधरी ने छह हजार मतों से हराया। वहीं, रामसेवक सिंह हथुआ से चुनाव हार गए। राजद उम्मीदवार राजेश कुमार ने रामसेवक को करारी शिकस्त दी। जदयू नेता और बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा को राजद उम्मीदवार सुदय यादव ने हराया है। चुनाव से पहले भी वर्मा को टिकट दिए जाने का विरोध हुआ था। बताते हैं कि बिहार का शिक्षक वर्ग उनसे काफी नाराज था।
बिहार विधानसभा चुनाव और कई राज्यों में उपचुनाव में भी कांग्रेस के हाथ कुछ नहीं लगा। बिहार में इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी कांग्रेस उतनी सीट नहीं ला पाई, जितनी पिछली बार मिली थी। वहीं, मध्यप्रदेश उपचुनाव में भी जीती हुई सीटों पर भी उसे हार झेलनी पड़ी। उत्तर प्रदेश उपचुनाव में प्रियंका गांधी का जादू भी नहीं चला, तो गुजरात और तेलंगाना में पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई।
पिछली बार बिहार चुनाव में कांग्रेस ने 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 27 सीटों पर जीत मिली थी। इस बार पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 19 सीटें मिली। बिहार में टिकट बंटवारे के साथ ही स्थानीय नेताओं पर टिकट बेचने के आरोप लगने के बाद पार्टी ने चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी राज्य के बाहर के नेता को सौंपी थी। बिहार चुनाव के साथ ही यह साबित हुआ है कि जमीन पर कांग्रेस कहीं नहीं है। राजद के साथ गठबंधन के चलते स्थानीय समीकरण में उसे इन सीटों पर बढ़त मिली।
यूपी में कांग्रेस छह सीटों पर तीसरे और चौथे स्थान से आगे नहीं बढ़ सकी। पार्टी महासचिव और यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी के लिए चुनाव नतीजे उनके फैसलों की समीक्षा करने को बाध्य करेंगे। मध्यप्रदेश में अपने विधायकों की बगावत के बाद उपचुनाव का फायदा भी कांग्रेस नहीं उठा पाई। जिन सीटों पर पिछले चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ दिया था, भाजपा उन्हीं चेहरों को आगे कर मैदान में उतरी और जीती।