बिहार में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने विधायक लखेंद्र रौशन को निलंबित किए जाने का विरोध करते हुए बुधवार को विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया। विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने मंगलवार को रौशन को उनके अभद्र आचरण को लेकर दो दिनों के लिए निलंबित कर दिया था। चौधरी ने पातेपुर के विधायक रौशन द्वारा माइक्रोफोन तोड़ने की घटना को गंभीरता से लिया था।
भाजपा के सदस्य विधानसभा के बाहर नारे लगा रहे थे
विधायक ने हालांकि तर्क दिया था कि माइक्रोफोन ख़राब था और वह उसे ठीक कर रहे थे जिससे वह बाहर आ गया। वहीं उनकी पार्टी ने इस घटना को एक दलित के उत्पीड़न के रूप में पेश करने की कोशिश की। भाजपा के सदस्य विधानसभा के बाहर नारे लगा रहे थे और तख्तियां लहरा रहे थे। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि विपक्ष सदन का अनिवार्य हिस्सा है और उनके बिना सदन सूना लगता है। उन्होंने कहा कि सदन में कल जो हुआ, वह सीधा आसन की गरिमा के खिलाफ आक्षेप था और आसन ने उचित फैसला किया।
उन्होंने कहा, ‘‘बहरहाल, सरकार का आसन से अनुरोध है कि वह असंतुष्ट सदस्यों से बातचीत करें और जो हुआ, उस पर विपक्ष द्वारा खेद जताने पर उनकी वापसी सुनिश्चित करें।’’ रौशन के माफी मांगने के विषय पर विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने मंगलवार को ऐसी किसी संभावना से इनकार किया था। उन्होंने कहा कि गड़बड़ी में दोनों पक्ष शामिल थे और माफी दोनों ओर से मांगी जानी चाहिए।
घटना सदन के अंदर नहीं होनी चाहिए थी
संसदीय कार्य मंत्री की राय से भिन्न विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक अख्तरुल ईमान शाही ने कहा कि भाजपा विधायकों के साथ कोई नरमी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने गुजरात और उत्तराखंड जैसे भाजपा शासित राज्यों का उदाहरण दिया, जहां सदन में व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर विपक्षी विधायकों को सामूहिक रूप से निलंबित किए जाने की घटनाएं हुई हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में कहा कि उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण घटना के आलोक में सरकार की सलाह पर एक फैसला किया और ऐसी घटना सदन के अंदर नहीं होनी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि विपक्ष से उनका अनुरोध है कि वह अपनी जिद छोड़कर कार्यवाही में शामिल हो। इसके बाद भी भाजपा का बहिष्कारी जारी रहा और नेता प्रतिपक्ष सिन्हा ने घोषणा की कि वे इस ‘‘भ्रष्ट सरकार’’ के खिलाफ विरोध जताने के लिए राजभवन तक एक मार्च का आयोजन करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपने हिसाब से विधायिका चलाने का प्रयास कर रही है।