दरअसल पाकिस्तान आतंकवादी घुसपैठ करा कर भारत में 'कोरोना के मरदूद' भेज कर इत्मीनान करना चाहता है कि इससे उसके कोरोना ग्रस्त लोगों का दुख दूर हो जायेगा। इससे बड़ी जहालत पूरी दुनिया में कोई दूसरी नहीं हो सकती जो बताती है कि पाकिस्तान की न कोई तालीम है, न तबीयत है और न तरबियत है। इंसानियत के फर्जों से इसका कोई लेना-देना नहीं है इसलिए जरूरी है कि दुनिया के दूसरे देशों को उसके कारनामों पर ध्यान देना चाहिए और उसे आतंकवादी मुल्कों की फेहरिस्त में डालने का पुख्ता इन्तजाम बांधना चाहिए। हैवानियत की हदें तोड़ती उसकी कार्रवाइयों से इस्लामी मुल्कों को भी सबक लेना चाहिए और ओआईसी ( इस्लामी देशों का संगठन) की विशेष बैठक बुला कर पाकिस्तान को 'बेनंग-ओ-नाम' मुल्क करार देना चाहिए। यह कोई साधारण बात नहीं है कि जब पूरी दुनिया के देश मानव जाति को बचाने के लिए ऐसे दुश्मन से लड़ाई लड़ रहे हों जिसका सतह पर कोई नामो-निशान नजर नहीं आ रहा हो मगर उसमें आदम जात को ही खत्म करने की कूव्वत हो, तो ऐसे वक्त में पाकिस्तान की कारस्तानियों को सिर्फ शैतान की फितरत ही माना जायेगा। मजहबी कट्टरपन और तास्सुब का यह जुनून उसके 'बे-मजहबी' होने का सबूत ही कहा जायेगा क्योंकि इस्लाम की बुनियाद पर बना यह मुल्क अपने ही धर्म की हिदायतों की धज्जियां सरेआम उड़ा रहा है और ऐलान कर रहा है कि भारत के खिलाफ उसका मजहब सिर्फ शैतानियत है।