अंग्रेजों ने मुस्लिम लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्ना की मांग पर पाकिस्तान को भारत से तोड़कर अलग देश तो 15 अगस्त,1947 को बना दिया था मगर इस नये देश के बारे में जिन्ना की कोई दृष्टि नहीं थी और न उसने कभी यह सोचा था कि संयुक्त भारत के मुसलमानों के लिए मजहब के आधार पर बने नये देश की जरूरतों को किस प्रकार पूरा किया जायेगा। अंग्रेजों ने भी केवल मुस्लिम बहुल आबादी के नाम पर पश्चिमी पंजाब व सिन्ध के अलावा उत्तर पूर्व सीमान्त प्रदेश को पाकिस्तान तो बना दिया और पूर्व में संयुक्त बंगाल को तोड़ कर पूर्वी पाकिस्तान बना दिया मगर वे इसके लोगों को जीवन जीने के वे साधन दे सकते थे जो एक देश के भूभाग में स्वजनित होते हैं। आजादी से पहले पूरे भारत के पहाड़ों से लेकर इसकी नदियां एक थीं मगर भूभाग बंट जाने के बाद इनका भी बंटवारा था क्योंकि यह बंटवारा निर्मित था। पंजाब जिसे पांच प्रमुख नदियों रावी, ब्यास, झेलम, चिनाब, सतलुज का प्रवाह स्थल माना जाता था उसका बंटवारा कर दिया गया था और सिन्धु नदी का अधिकतम प्रवाह क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया था। अतः समय बीतने के साथ ही पाकिस्तान ने इन नदियों के अधिकतम जल उपयोग के लिए तिकड़म लड़ानी शुरू कर दी और 1960 में इन सभी छह नदियों के जल बंटवारे को लेकर भारत व पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में एक समझौता हुआ जिसे 'सिन्धु जल सन्धि' का नाम दिया गया।