45 वर्ष बाद भारत-चीन सीमा पर जिस तरह लद्दाख क्षेत्र में गोलीबारी हुई है वह दोनों देशों के आपसी सम्बन्धों के सन्दर्भ में विशेष चिन्ता का विषय है। 1975 में चीनी सेनाओं ने अरुणाचल के तुमलुंग इलाके में असम राइफल्स के जवानों पर छिप कर गोलीबारी की थी। उसके बाद से सीमा पर विगत मई मास तक हिंसक संघर्ष नहीं हुआ मगर विगत 15 जून को ही लद्दाख की गलवान घाटी क्षेत्र में नियन्त्रण रेखा पर दोनों फौजों के सैनिकों के बीच जो संघर्ष हुआ उसमें 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए, जवाब में बहुत से चीनी सैनिक भी हलाक हुए। पूरी दुनिया जानती है कि चीन भारत के सन्दर्भ में 1962 से ही आक्रमणकारी देश है जिसने लद्दाख क्षेत्र का ही 40 हजार वर्ग कि.मी. अक्साई चिन का इलाका कब्जा रखा है। इसी वर्ष मई महीने के शुरू में ही उसने लद्दाख में नियन्त्रण रेखा को पार करके पेगोंग झील व देपसंग के पठारी इलाके में अतिक्रमण किया और अभी तक इसकी सेनाओं ने अपनी स्थिति में परिवर्तन नहीं किया है।