जाहिर है कि आजादी के बाद से अब तक भारत व पाकिस्तान के बीच चार बार युद्ध हो चुका है 1947, 1965, 1971 और 1999। मगर कश्मीर की समस्या जस की तस खड़ी हुई है और और दोनों देशों के बीच रंजिशी ताल्लुकात बने हुए हैं। मगर यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान भारत से रंजिश क्यों मानता है जबकि 1947 से पहले उसकी सारी अवाम हिन्दोस्तानी ही थी। बंटवारा होने के बावजूद पाकिस्तान ने भारत के प्रति कभी निःस्वार्थ भाव से दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाया और हर चन्द कोशिश की कि वैर भाव समाप्त न हो। वस्तुतः यह वैर भाव दोनों देशों की अवाम की सांस्कृतिक एकता की कुर्बानी देकर बढ़ाया गया जिससे पाकिस्तान के वजूद की वजह बनी रहे। बेशक पाकिस्तान एक संप्रभु राष्ट्र है मगर भारतीय उपमहाद्वीप में सुख-शान्ति व समृद्धि बनाये रखने के उद्देश्य से पाकिस्तान यूरोपीय संघ जैसी नीति का अनुसरण करके भारत के साथ सभी विवाद इस प्रकार हल कर सकता है कि सेना का उपयोग ही निरर्थक लगने लगे परन्तु इस मार्ग में पाकिस्तान की फौज ही सबसे बड़ी बाधा है जो कश्मीर के नाम पर भारत और भारतीयों के विरुद्ध दुश्मनी का भाव जागृत रखना चाहती है। यह भाव पाकिस्तानी फौज धर्म मूलक हिन्दू-मुसलमान के रूप में बनाती रही है।