इससे पहले साल 2015 में पुतिन के कट्टर विरोधी और रूस के पूर्व उपप्रधानमंत्री बोरिस नेमत्सोव की भी मॉस्को में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बोरिस का मानना था कि क्रीमिया का विलय पुतिन का एकतरफा फैसला था, जो पुतिन ने निजी स्वार्थ में लिया, वो इसे लेकर कुछ खुलासा करने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही उनकी हत्या कर दी गई। रूस में विपक्ष नाममात्र का ही है, तो मीडिया पर पुतिन की जबरदस्त पकड़ है। कहते हैं कि रूस में वही खबरें दिखाई जाती हैं, जो पुतिन के फैसलों का समर्थन करती हैं और उनके पक्ष में प्रोपेगैंडा चलाती हैं।