रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बल कर्मियों को सशस्त्र बल न्यायाधिकरणों के ढांचे के तहत समय पर न्याय प्रदान करने पर शनिवार को जोर दिया, लेकिन साथ ही जल्दबाजी में किए गए फैसलों से होने वाले नुकसान को लेकर आगाह भी किया।
न्याय में देरी न्याय से वंचित’ करने के समान
सिंह ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण पर आयोजित एक संगोष्ठी में कहा, हम अक्सर इस पर बात करते हैं कि ‘न्याय में देरी न्याय से वंचित’ करने के समान है। हमें एक व्यवस्थित प्रक्रिया विकसित करके समय पर न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए।उन्होंने कहा, हालांकि, हमें ऐसा करते समय बहुत सावधान रहने की भी आवश्यकता है। अन्यथा, जल्दबाजी में न्याय प्रदान करने से सही तरह से न्याय नहीं मिलने का खतरा होता है। ऐसे में समय और प्रक्रिया के बीच संतुलन बनाए रखना आज के समय की एक महत्वपूर्ण मांग है।
वकीलों के योगदान पर भी प्रकाश
रक्षा मंत्री ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों के योगदान पर भी प्रकाश डाला। सिंह ने कहा, चाहे वह महात्मा गांधी, पंडित (जवाहर लाल) नेहरू, सी. राजगोपालाचारी, बाल गंगाधर तिलक, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, एस. श्रीनिवास अयंगर, सरदार पटेल या डॉ. भीमराव आंबेडकर हों, एक नहीं बल्कि कई ऐसे नाम हैं, जिनके योगदान के बिना हमारा भारत ऐसा नहीं होता जैसा आज है।”

सशस्त्र बल न्यायाधिकरण कामकाज में बदलाव
रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरणों के समग्र कामकाज में सुधार के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार इन न्यायाधिकरणों को उन उद्देश्यों के प्रति अधिक उत्तरदायी बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, जिनके लिए इसे स्थापित किया गया था।सिंह ने कहा ,सशस्त्र बल न्यायाधिकरणों ने सेवारत सैनिकों और पूर्व सैनिकों की वैध आकांक्षाओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।रक्षा मंत्री ने विश्वास जताया कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अपने कामकाज में बदलाव लाएगा और इसके लिए तैयारी अभी से शुरू करनी होगी।