सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल सहित दूरसंचार कंपनियों पर बकाया समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) भविष्य में किसी भी मुकदमे का विषय नहीं हो सकता है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने एजीआर की गणना में कथित त्रुटियों को दूर करने की मांग से जुड़ी दूरसंचार कंपनियों की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एजीआर से संबंधित विवाद काफी लंबे समय से अदालतों में लंबित रहा है और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर बकाया राशि को लेकर आगे किसी भी मुकदमे में विचार नहीं किया जाएगा। फैसले में कहा गया कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर बकाया एजीआर राशि में बदलाव करने से जुड़ी किसी भी याचिका को मंजूरी देने से जुड़े उच्चतम न्यायालय के एक सितंबर, 2020 के पिछले फैसले पर पुनर्विचार को लेकर संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है।
दूरसंचार कंपनियों ने अपनी याचिका में एजीआर की पुनर्गणना की मांग करते हुए कहा था कि गणना में अंकगणितीय ‘त्रुटियों’ को ठीक किया जाए। उनका कहना था कि गणना में प्रवृष्टियों को दोहराया भी गया है। बता दें कि इससे पहले दूरसंचार क्षेत्र की बड़ी कंपनियों द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) संबंधी बकाया की गणना में गलितयों का आरोप लगाते हुए दायर की गई याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, “सभी अर्जियां खारिज की जाती हैं।” दूरसंचार कंपनियों ने शीर्ष अदालत में दलील दी कि गणना में अंकगणितीय त्रुटियों को ठीक किया जाए और प्रविष्टियों में दोहराव के मामले भी हैं।
शीर्ष अदालत ने 19 जुलाई को कहा था कि वह दूरसंचार क्षेत्र की बड़ी कंपनियों द्वारा दायर आवेदनों पर आदेश पारित करेगी।उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल सितंबर में सरकार को अपनी बकाया राशि का भुगतान करने के लिए एजीआर से संबंधित 93,520 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को 10 साल का समय दिया था।