ED ने किया बड़ा खुलास, ‘बेंगलुरू खनन मामले में 5.21 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क’

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बेंगलुरु कार्यालय ने अवैध खनन की जांच के सिलसिले में एक कंपनी और उसके अधिकारियों की 5.21 करोड़ रुपये
ED ने किया बड़ा खुलास, ‘बेंगलुरू खनन मामले में 5.21 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क’
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बेंगलुरु कार्यालय ने अवैध खनन की जांच के सिलसिले में एक कंपनी और उसके अधिकारियों की 5.21 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों के अनुसार, कुर्क की गई संपत्ति आरोपी के स्वामित्व वाली छह अचल संपत्तियों के रूप में है। ईडी ने विशेष जांच दल और कर्नाटक लोकायुक्त, बेंगलुरु द्वारा दर्ज एक एफआईआर के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच शुरू की। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के आधार पर खनिज उद्यम लिमिटेड, अज्ञात सरकारी कर्मचारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों की खान और खनिज विकास विनियमन अधिनियम और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत जांच की जाएगी।
जिससे राजकोष को नुकसान हुआ है
अधिकारियों ने कहा, मामला विभिन्न व्यापारियों द्वारा अवैध रूप से खनन किए गए लौह अयस्क के व्यापार से जुड़ा है। पीएमएलए के तहत जांच के दौरान यह देखा गया है कि बिना वैध परमिट के अवैध रूप से लौह अयस्क का खनन, परिवहन और व्यापार किया गया है, जिससे राजकोष को नुकसान हुआ है। यह भी देखा गया है कि इस तरह के अवैध लौह अयस्क का स्रोत एसबी मिनरल्स के स्वामित्व वाली दो खदानें हैं जिनमें भागीदार हैं- बीपी आनंद कुमार, पांडुरंगा सिंह और गोपाल सिंह, एक खदान शांथलक्ष्मी और जे मिथिलेश्वर की और एक खदान भारत माइंस के स्वामित्व वाली है और मिनरल्स के साझेदार बीएमएम इस्पात लिमिटेड और दिनेश कुमार सिंघी हैं।
इसकी सिफारिश के आधार पर
इससे पहले, कर्नाटक राज्य में खनन पट्टों के अपने सर्वेक्षण के दौरान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने इन चार खानों के संबंध में अवैधता पाई और उन्हें सी श्रेणी में रखा और इसकी सिफारिश के आधार पर शीर्ष अदालत ने उनके लाइसेंस रद्द कर दिए थे। अधिकारियों ने कहा, पीएमएलए के तहत जांच से पता चला है कि आरोपियों ने फायदे के लिए सरकारी खजाने को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया है।

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