भारतीय गेहूं के निर्यात (Indian Wheat Export) मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है, दरअसल मिस्र (Egypt) के प्लांट क्वारंटीन चीफ अहमद अल अत्तर (Ahmed Al Attar) ने शनिवार को कहा कि मिस्र ने 55,000 टन भारतीय गेहूं ले जाने वाले जहाज के प्रवेश पर रोक लगा दी, बताते चलें कि मूल रूप से इस गेहूं को तुर्की जाना था। अहमद अल अत्तर ने कहा कि “हमने जहाज को मिस्र में प्रवेश करने से रोक दिया।” उन्होंने रॉयटर्स को बताया तुर्की के प्लांट क्वारंटीन अधिकारियों ने पहले ही जहाज के आगमन को रोक दिया था।
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते भारत को मिली मंजूरी
आपूर्ति मंत्री एली मोसेल्ही ने मई में कहा था कि भारत के साथ सामान्य निविदा प्रणाली के बाहर 500,000 टन गेहूं सीधे खरीदने के लिए एक समझौते पर सहमति हुई थी लेकिन अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए गए थे। अप्रैल में मिस्र के कृषि मंत्रालय ने घोषणा करते हुए कहा था कि उसने भारत को गेहूं की आपूर्ति के स्रोत के रूप में मंजूरी दे दी है क्योंकि उत्तरी अफ्रीकी देश यूक्रेन (Ukarine) पर रूस (Russia) के आक्रमण के कारण खरीद को रोकना चाहते हैं।

भारतीय प्रतिबंध मिस्र के साथ सरकारी समझौते पर नहीं होगा लागू
भारत की सरकार ने पुष्टि करते हुए कहा कि वह अभी भी मिस्र को सीमा शुल्क निकासी और निर्यात की प्रतीक्षा कर रहे शिपमेंट की अनुमति देगी। मोसेल्ही ने पहले कहा था कि भारतीय प्रतिबंध मिस्र के साथ सरकारी समझौते पर लागू नहीं होगा। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को रॉयटर्स को बताया कि मिस्र ने फसल के मौसम के दौरान अब तक 35 लाख टन स्थानीय गेहूं की खरीद की है। उन्होंने कहा कि गेहूं खरीद सीजन अगस्त में समाप्त हो रहा है।
भारत ने तुर्की के अधिकारियों से मांगा विवरण
गुणवत्ता की चिंताओं पर तुर्की द्वारा भारतीय गेहूं की खेप को खारिज करने की खबरों के बीच, खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने गुरुवार को कहा था कि सरकार ने इस मामले पर तुर्की के अधिकारियों से विवरण मांगा है क्योंकि संबंधित निर्यातक आईटीसी लिमिटेड ने दावा किया कि 60,000 टन के शिपमेंट में सभी आवश्यक मंजूरी थी।
पादप स्वच्छता संबंधी चिंताओं पर तुर्की द्वारा भारतीय गेहूं की खेप को खारिज करने के बारे में पूछे जाने पर पांडे ने संवाददाताओं से कहा, “हमने इस रिपोर्ट की जांच की। यह आईटीसी और गुणवत्ता की सभी आवश्यकताओं को पूरा करती थी।” उन्होंने कहा कि खेप में करीब 60,000 टन गेहूं था। एक प्रमुख गेहूं निर्यातक आईटीसी ने सरकार को सूचित किया कि उन्होंने गेहूं को जिनेवा स्थित एक कंपनी को बेच दिया था, जिसने आगे कमोडिटी को तुर्की की एक फर्म को बेच दिया। सभी वित्तीय लेनदेन हुआ था।