भारत में आम जनता पर महंगाई की मार देखने को मिल रही हैं। क्योंकि मूलभूत आवश्यकताओं में आने वाले गेंहू में वृद्धि दर्ज की गई थी और जिसके बाद से ही चावल के दामों में तेजी देखने को मिली हैं। मिली जानकारी के मुताबिक पता चला है कि पांच से दस दिनों में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारी उछाल देखने को मिला हैं।हालांकि, पता चला है कि हमारा पड़ोसी देश बागंलादेश ने चावल पर इंपोर्ट ड्यूटी और टैरिफ को 62.5 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया हैं।
रूस यूक्रेन से बांगलादेश में हुई अनाज की कमी
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारत गेंहू के बाद चावल के भी एक्सपोर्ट पर बैन लगा सकता है. भारत द्वारा चावल के निर्यात पर रोक लगाने के फैसले की डर के चलते बांग्लादेश ने चावल आयात करने का निर्णय लिया है। रूस यूक्रेन युद्ध के चलते बांग्लादेश में अनाज की कमी है। भारत ने गेंही के निर्यात पर पहले ही रोक दिया है. जिससे परेशानी बढ़ गई है। उसपर से बाढ़ ने धान के फसल को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इसलिए बांग्लादेश चावल जल्द से जल्द आयात करना चाहता हैं।

चावल के दामों में भारी उछाल
मिली जानकारी के मुताबिक बांग्लादेश के इस फैसले के बाद केवल 5 दिनों भारतीय गैर-बासमती चावल के दाम 350 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 360 डॉलर प्रति टन पर जा पहुंचा है. कई जानकारों का कहना है कि चावल के दाम 10 फीसदी तक बढ़ चुके हैं. पश्चिंम बंगाल, उत्तरप्रदेश और बिहार से चावल का बांग्लादेश में निर्यात किया जाता है. बांग्लादेश के इस निर्णय के बाद तो इन तीनों राज्यों में ही चावल के दाम 20 फीसदी तक बढ़ चुके हैं. तो दूसरे राज्यों में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है. 2020-21 में बांग्लादेश ने 13.59 लाख टन चावल का आयात किया था. आंकड़ों के मुताबिक भारत ने 2021-22 में 6.11 बिलियन डॉलर का गैर-बासमती चावल निर्यात किया था. जबकि 2020-21 में 4.8 अरब डॉलर का चावल निर्यात किया गया था. चावल के ग्लोबल ट्रेड में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी हैं।
अंतर्राष्ट्रीय युद्ध की वजह से यह वस्तुएं हुई महंगी
बताया जा रहा है कि देश में आम लोगों को चावल की महंगाई की मार को झेलने पड़ सकती हैं। हालांकि, रूस युक्रेन के युद्ध की वजह से आटा दाल चीनी और खाने के तेल के साथ-साथ कई बड़ी चीजों पर पहले से ही दाम अपने चरम शिखर पर पहुंच चुके हैं।