रामजल मीणा एक ऐसा शख्स है जिसने जुनून, लगन, मेहनत और चाहत इन सबका मतलब समझा दिया है। भारत की सबसे प्रतिष्ठति जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हर कोई पढ़ने के बारे में सोचता है। इस यूनिवर्सिटी में पिछले 5 सालों से रामजल मीणा सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे हैं।

रामजल ने ऐसा महान काम किया है जिसे सुनने के बाद आप सब भी बहुत प्रेरित होंगे। दरअसल जेएनयू की रामजल ने एंट्रेस परीक्षा को पास कर लिया है। हां, आपने बिल्कुल सही सुना अब तक जिस यूनिवर्सिटी में वह गार्ड की नौकरी करते थे अब वहां बैठकर रामजल अपने सपनों काे पूरा करेंगे।
16 साल की उम्र में शादी हो गई थी
फेसबुक पर तारा शंकर नाम के एक यूजर ने रामजल की इस कहानी के बारे में बताया है। तारा शंकर की फेसबुक प्रोफाइल देखकर तो ऐसा ही लग रहा है कि वह जेएनयू में ही काम करते हैं। तारा ने भी जेएनयू से ही पीएचडी की पढ़ाई की हुई है। तारा ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा, ये हैं रामजल मीणा।

जेएनयू में पिछले 5 साल से सिक्योरिटी गार्ड हैं। राजस्थान का सबसे पिछड़ा हुआ जिला करौली के रहने वाले हैं। लगभग 16 साल की उम्र में इनकी शादी हो गई और गरीबी की वजह से उनके ऊपर पूरे घर की जिम्मेदारी आ गई। इनकी पढ़ाई गरीबी की वजह से बीच में ही रूक गई।
थका देने वाली हर दिन 8-10 घंटे की नौकरी

ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो 8 से 10 घंटे की थकान भरी नौकरी करने के बाद पढ़ाई करते हैं। रामजल जेएनयू में गार्ड की नौकरी करते हैं जिसमें उन्हें ज्यादा समय खड़े रहना पड़ता है। ना तो वह एसी ऑफिस होता है ना ही उन्हें आरामदायक सी कुर्सी बैठने को मिलती है।
किताबें साथ लाते थे, मदद की प्रोफेसर-छात्रों ने
तारा शंकर ने आगे अपनी पोस्ट में लिखा, 8 से 10 घंटे की थकाऊ ड्यूटी करने के बीच रामजल अपने साथ किताबें लाथे और थोड़ा-थोड़ा समय निकालकर पढ़ते भी रहते थे। उन्हें प्रोफेसर और खासतौर पर छात्रों ने पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसके बारे में वह वह फक्र से बताते हैं।

जेएनयू की जिस प्रवेश परीक्षा पास करना बहुत मुश्किल होता है उसे रामजल ने पास कर ली है। अब तक रामजल विभागों के बाहर, सड़कों पर, लाइब्रेरी के बाहर पहरा देते थे। अधिकांश समय खड़े-खड़े ही ड्यूटी करनी होती थी, अब से ये लाइब्रेरी के अंदर, क्लासरूम में, विभागों के अंदर बैठकर पढ़ सकेंगे।
रामजल जैसे कई किस्से हैं जो प्रेरित करते हैं

रामजल मीणा 33-34 साल के हैं। इस उम्र में पढ़ाई करना बहुत ही प्रेरणादायक है। पिछले 9 साल से तारा शंकर जेएनयू में हैं। तारा शंकर लिखते हैं, जेएनयू में पढ़ाई के 9 सालों में ऐसे कई उदाहरण मिले जिन्होंने बहुत विकट परिस्थितियों से निकलकर यहां से पढ़ाई की है। मेरे ही साथ पढ़ने वाले एक दोस्त कभी बसों में रेवड़ियां बेचता था। लेकिन जब एंट्रेंस करके जेएनयू आए तो फिर पीएचडी करके ही निकले और आज दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
अपनी किस्मत बदली कूड़ा बीनने वाले ने भी

इसके अलावा तारा शंकर ने अपने दूसरे दोस्त के बारे में बताया जो पहले कूड़ा बीनकर और सब्जी मंडी की बोरियां साफ करके अपना खर्च उठाते थे। जेएनयू से पढ़ाई करने के बाद अब वह अच्छी नौकरी करते हुए अपने पूरे घर को संभाल रहे हैं।