Dhoni के बाद Ishan kishan बने ऐसे विकेटकीपर, जिन्होंने छोड़ा अच्छे-अच्छे को पीछे, देखें ये रिकॉर्ड..! जिसको तोड़ना मुश्किल

2011 में इंग्लैंड के खिलाफ एमएस धोनी ने लगातार चार अर्धशतक लगाए थे। 2010 में भी विराट कोहली ने लगातार चार अर्धशतक लगाए थे। 2003 में सचिन तेंदुलकर ने चार वनडे पारियों में लगातार चार अर्धशतक लगाए थे, जबकि 2002 में सौरव गांगुली ने चार अर्धशतक लगाए थे।
Dhoni के बाद Ishan kishan बने ऐसे विकेटकीपर, जिन्होंने छोड़ा अच्छे-अच्छे को पीछे, देखें ये रिकॉर्ड..! जिसको तोड़ना मुश्किल
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आज भारत और पाकिस्तान एशिया कप 2023 में खेल के मैदान में आमना-सामना करेंगे। पहले टॉस जितते हुए रोहित शर्मा ने बल्लेबाजी करने को फैसला किया, लेकिन टीम का सर्वोच्च ऑर्डर जल्दी चला गया। इसके बाद मीड बल्लेबाजो ने सारी जिम्मेदारी उठाई। पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे ईशान किशन ने शानदार बल्लेबाजी की। इशान किशन को वनडे में पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने का यह पहला मौका है। इससे पहले वह एक, दो, तीन और चार के नम्बंर पर भी खेल चुके है। 
ईशान किशन की बल्लेबाजी को पांचवें नंबर पर ऐसा नहीं लग रहा था, लेकिन उन्हें मौका मिला और उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाया, एक बार फिर शानदार अर्धशतक बनाया। इस तरह, वह वनडे में लगातार चार अर्धशतक लगाने वाले बल्लेबाजों में से एक है। 
किशन ने चार वनडे पारियों में लगातार चार अर्धशतक लगाए 
ईशान किशन ने 54 गेंदों में 50 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने एक छक्का और छह चौके लगाए। ईशान किशन ने इससे पहले वेस्टइंडीज के खिलाफ तीन वनडे मैचों में तीन अर्धशतक लगाए थे। अब वह लगातार चार अर्धशतक लगाने वाले बल्लेबाज बन गए है। ये बात अलग है कि टीम इंडिया और दुनिया के अन्य बल्लेबाजों ने इससे पहले भी ऐसा किया है, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने मुश्किल में फंसी टीम इंडिया को बचाया था।
एमएस धोनी के बाद इशान किशन दूसरे विकेटकीपर बन गए 
2011 में इंग्लैंड के खिलाफ एमएस धोनी ने लगातार चार अर्धशतक लगाए थे। 2010 में भी विराट कोहली ने लगातार चार अर्धशतक लगाए थे। 2003 में सचिन तेंदुलकर ने चार वनडे पारियों में लगातार चार अर्धशतक लगाए थे, जबकि 2002 में सौरव गांगुली ने चार अर्धशतक लगाए थे। इससे पहले 1996 में भी सचिन ने चार वनडे पारियों में लगातार चार अर्धशतक लगाए थे, जबकि 1993 में मोहम्मद अज़हरुद्दीन ने श्रीलंका के खिलाफ चार अर्धशतक लगाए थे। 1990 में भी अजहर ने ऐसा ही किया था। 1987 में नवजोत सिंह सिद्धू ने भी यही किया था।

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