जब न्यायाधीशों के आराम की जिंदगी जीने के बारे में असत्य विमर्श पैदा किया जाता है तो यह हजम हो पाना मुश्किल होता है।''उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की जिम्मेदारी बहुत ही कठिन है क्योंकि उनके फैसलों का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।उन्होंने कहा किसी आरोपी को सजा सुनाना, किसी बच्चे का संरक्षक अभिभावक तय करना, किसी किरायेदार या मकान मालिक के अधिकारों के बारे में फैसला सुनाना, जीवन बीमा के मुकदमे में किसी व्यक्ति या मनुष्य के जीवन के मोल का हिसाब लगाना ये सब बहुत ही कठिन फैसले होते हैं, जिसका सीधा प्रभाव न्यायाधीशों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।''