युवाओं से 'राष्ट्र प्रथम सदैव प्रथम' का मंत्र अपनाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में उन्हीं लोगों ने विजय प्राप्त की जिन्होंने हमेशा अपने कर्तव्य में राष्ट्र को प्रथम रखा। यहां युवाओं के सामने आने वाली संशय सहित अन्य चुनौतियों का जिक्र करते हुए वैष्णव ने कहा कि ''वे एक चीज, केवल एक मंत्र याद रखेंगे तो कभी मन में कोई संशय नहीं होगा। वह मंत्र है राष्ट्र प्रथम सदैव प्रथम।'' उन्होंने कहा कि जीवन के विभिन्न हिस्सों से इसके कई उदाहरण लिए जा सकते हैं, लेकिन वही लोग आगे गए, उन्हीं लोगों ने संतुष्टि और विजय प्राप्त की जिन्होंने हमेशा अपने कर्तव्य में राष्ट्र को प्रथम रखा।