chandrayaan-3 launch: जानें क्यों है खास? बजट, लैंडर, रोवर और भारत को सफलता, चंद्रयान मिशन की पूरी कहानी

इससे पहले भी देश की स्पेस एजेंसी इसरो में चंद्रयान-1 से कमाल कर दुनिया को एक बड़ा साबुत दिया है, 2008 में पहले मिशन चंद्रयान-1 से भारत ने दुनिया को बताया कि चाँद पर पानी है।
chandrayaan-3 launch: जानें क्यों है खास? बजट, लैंडर, रोवर और भारत को सफलता, चंद्रयान मिशन की पूरी कहानी
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बस कुछ ही पल में भारत इतिहास लिखने जा रहा है। चंद्रयान मिशन के साथ इस दुनिया में भारत चौथा देश बन जायेगा जो चाँद पर अपने नाम की पताका लहराएगा। भारत के चंद्रयान 3 मिशन से भारत के नाम एक और उपलब्धि जुड़ जाएगी। भारत इस दुनिया का पहला देश होगा, जो चाँद के सॉउथ पोल पर लैंड करेगा। इससे पहले के मिशन से इसरो के वैज्ञानिकों काफी कुछ सिखने को मिला है। चंद्रयान 2 के गलतियों को देखते हुए, इस बार देश के वैज्ञानिक ने काफी काम करते हुए इस मिशन पर तैयारी की है। 
चंद्रयान मिशन है इतिहास 
इससे पहले भी देश की स्पेस एजेंसी इसरो में चंद्रयान-1 से कमाल कर दुनिया को एक बड़ा साबुत दिया है, 2008 में पहले मिशन चंद्रयान-1 से भारत ने दुनिया को बताया कि चाँद पर पानी है। इसने पहले चंद्रमा मिशन ने चाँद की सतह पर पानी की उपस्थिति की पुष्टि की। जिसने बाद से ही इसरो के  वैज्ञानिकों ने दूसरे कदम के तरह देखा। इसके बाद 22 जुलाई, 2019 को इसरो ने दूसरे मिशन को लांच किया, लेकिन  चंद्रयान-2 की लैंडिंग में असफलता के बावजूद, इसका ऑर्बिटर लॉन्च के चार साल बाद भी चालू है। 
अब, इसरो का आगामी मिशन चंद्रयान-1 की उपलब्धियों को आगे बढ़ाने और वह हासिल करने के लिए तैयार है जो इसके पूर्ववर्ती नहीं कर सके – पानी की बर्फ की जांच के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर एक सफल नरम लैंडिंग। यात्रा शुक्रवार को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष स्टेशन से शुरू होने वाली है और सभी की निगाहें भारत के चंद्रमा की उड़ान पर केंद्रित होंगी।
चंद्रयान 3 के पीछे उद्देश्य
चंद्रयान 3 के पीछे के उद्देश्य को इस बात से समझा जा सकता हैं कि भारत इससे पहले एक बार गलती कर चूका है, जिसको अब इस मिशन से सुधारना चाहते है। दूसरा चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना। तीसरा रोवर को चंद्रमा पर घूमते हुए सही जगह पर रहना और  वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना। इसके अलावा, मिशन संभवतः चंद्रमा की बर्फ का नमूना लेने वाला पहला मिशन होगा। यह भी माना जाता है कि दक्षिणी ध्रुव पर देखे गए बड़े गड्ढों से पहले के सौर मंडलों की संरचना का सुराग मिल सकता है।
चंद्रयान-3 का बजट 
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 करीब 615 करोड़ रुपये के बजट पर बनाया गया है। जनवरी 2020 की एक रिपोर्ट में, इसरो के अध्यक्ष के सिवन के हवाले से कहा गया था कि मिशन के लिए लैंडर रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल की लागत लगभग 250 करोड़ रुपये होगी, जबकि लॉन्च सेवा की लागत 365 करोड़ रुपये होगी। 
चाँद पर कब पहुंचेगा 
चंद्रयान-3 मिशन को अभी लंबी दूरी तय करनी है। अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाए जाने वाले लैंडर के 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। विशिष्ट स्थान पर पहुंचने के बाद, लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र की सतह पर अपनी सॉफ्ट लैंडिंग शुरू करेगा। चंद्रमा। चंद्रयान-2 की तरह ही लॉन्च विंडो जुलाई तक तय की गई है, क्योंकि इस दौरान पृथ्वी और चंद्रमा एक-दूसरे के करीब होते हैं। 
इस मिशन को कुल दस चरण में पूरा किया जायेगा। जिसके बाद ये मिशन पूरा होगा। आज सभी की निगाहे इस मिशन पर टिकी हुई है। 

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