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आखिर क्यों माँ दुर्गा ने धारण किया स्कंदमाता रूप?

By- Yogita Tyagi

April 13, 2024

9 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है आज नौ दुर्गा का पांचवा दिन है जो मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप देवी स्कंदमाता को समर्पित है

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तारकासुर नाम का एक राक्षस था जो हमेशा के लिए अमर होना चाहता था जिसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार था

अब तारकासुर ने अमर होने के लिए ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या शुरू की ब्रह्मा जी तारकासुर की तपस्या से प्रसन्न हो गए और उन्होंने उससे वरदान मांगने के लिए कहा 

तारकासुर ने अमर होने की इच्छा प्रकट की यह सुनकर ब्रह्माजी ने उससे कहा कि इस संसार में जन्म लेने वाले की मृत्यु निश्चित है अमरता का वरदान नहीं मिल सकता 

यह सुनकर तारकासुर चिंता में डूब गया इसके बाद उसने ब्रह्माजी से यह वरदान मांगा की भगवान शिव का जो पुत्र होगा सिर्फ वही मेरा वध कर पाए 

तारकासुर ने सोचा की भगवान शिव कभी विवाह नहीं करेंगे और न ही फिर उनका पुत्र होगा वरदान मिलने के बाद वह और भी ज्यादा क्रुर हो गया 

तारकासुर खुद को अमर समझने लगा और लोगों पर उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगे यह देखकर देवताओं की चिंता बढ़ने लगी 

अपनी इस समस्या का हल निकालने के लिए सभी देवता भगवान शिव के पास का पहुंच गए भगवान शिव ने मां पार्वती की तपस्या पूर्ण होने के बाद विवाह किया 

विवाह के पश्चात भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ उनके जन्म के बाद माता पार्वती को तारकासुर के बारे में भगवान शिव ने बताया 

इसके बाद मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद यानी कार्तिकेय जी को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने को स्कंदमाता का रूप धारण किया यह रूप धारण करने के पर मां का नाम स्कंदमाता पड़ा था

स्कंदमाता से युद्ध करने की शिक्षा प्राप्त करने के बाद कार्तिकेय जी ने तारकासुर का वध किया और उसके आतंक से संसार को मुक्ति दिलाई

मां स्कंदमाता की मन से पूजा करने के बाद मनुष्य को संतान सुख का वरदान मिल सकता है और माना जाता है कि स्कंदमाता की कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी में परिवर्तित हो जाता है