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By Pratibha
Feb ,13, 2024
दुनियाभर से टूरिस्ट को देखने के लिए आते हैं।
यह मंदिर ओडिशा में है और 772 साल पुराना है।
इस मंदिर में सूर्य की पहली किरण इसके प्रवेश द्वार पर पड़ती है।
पुरी में स्थित यह मंदिर 1250 में बना था। यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है।
मंदिर का निर्माण गांग वंश राजा नरसिंहदेव प्रथम ने कराया था।
यह मंदिर कलिंग शैली में निर्मित है और इसकी संरचना रथ के आकार की है।
रथ में कुल 12 जोड़ी पहिए हैं। एक पहिए का व्यास करीब 3 मीटर है। इन पहियों को धूप धड़ी भी कहते हैं।
इस रथ में सात घोड़े हैं, जिनको सप्ताह के सात दिनों का प्रतीक माना जाता है।
मान्यता है कि इस मंदिर के करीब 2 किलोमीटर उत्तर में चंद्रभागा नदी बहती थी जो अब विलुप्त हो गई है।
ऐसी कहावत है कि इस मंदिर के निर्माण में 1200 कुशल शिल्पियों ने 12 साल तक काम किया।