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इन सदाबहार गीतों से सिनेमा जगत हुआ गुलज़ार

By Pratibha

Feb 20, 2024

उर्दू शायर और फिल्मी गीतकार गुलजार को उर्दू संस्कृति साहित्य के लिए 58वें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया जाएगा

1969 में आई फिल्म 'खामोशी' का गीत 'वो शाम कुछ अजीब थी' गुलजार साहब की खास रचना थी

1971 की फिल्म 'आनंद' के गाने 'मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने', 'जिंदगी कैसी है पहेली', 'न जिया लागे न' आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं

1971 की फिल्म 'मेरे अपने' का गाना 'कोई होता जिसको अपना' भी खूब मशहूर हुआ

1975 की फिल्म 'आंधी' का गाना 'तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं', 'तुम आ गए हो नूर आ गया है', 'इस मोड़ से जाते हैं' भी खूब लोकप्रिय हैं

1975 में आई फिल्म 'खुशबु' का गीत 'ओ माझी रे अपना किनारा' भी इस लिस्ट में शामिल है

1978 की फिल्म 'थोड़ी सी बेवफाई' का गीत 'हजार राहें मुड़ के देखीं' सदाबहार गीतों में से एक है

1978 की फिल्म 'घर' का गाना 'आपकी आंखों में कुछ' बेहद रोमांटिक है

1979 की फिल्म 'गोलमाल' का गाने 'आने वाला पल जाने वाला है' आज भी सदाबहार है

1983 में आई फिल्म 'मासूम' का गीत 'तुझसे नाराज नहीं जिंदगी', 'हुजूर इस कदर भी' आज भी सदाबहार हैं

1983 में आई फिल्म 'सदमा' का गीत 'ए जिंदगी गले लगा ले' बेहद यादगार है

जीवा' फिल्म 1986 में आई थी, जिसका गाना 'रोज रोज आंखों तले' गुलजार का यादगार गीत है

1990 की फिल्म 'लेकिन' का गीत 'यारा सीली सीली' प्रेमियों के दिल की धड़कन बढ़ा देता है

1996 में आई फिल्म 'माचिस' का गाना 'चप्पा चप्पा चरखा चले' भी गुलजार की बेहतरीन रचना है

2005 में आई फिल्म 'बंटी और बबली' का गाना 'कजरा रे' आज भी लोगों की जुबान पर रहता है