बिहार: जहरीली शराब से लोगों की मौत होने पर गाज सिर्फ छोटे अधिकारियों तक ही सीमित क्यों? - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

बिहार: जहरीली शराब से लोगों की मौत होने पर गाज सिर्फ छोटे अधिकारियों तक ही सीमित क्यों?

बिहार की नीतीश सरकार ने पूरे प्रदेश में शराब पीने और उसकी बिक्री करने पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन इसके बावजूद बिहार में न केवल शराब पी जा रही है, बल्कि शराब के नाम पर लोगों को जहर भी दिया जा रहा है।

बिहार की नीतीश सरकार ने पूरे प्रदेश में शराब पीने और उसकी बिक्री करने पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन इसके बावजूद बिहार में न केवल शराब पी जा रही है, बल्कि शराब के नाम पर लोगों को जहर भी दिया जा रहा है। पिछले एक पखवारे में पर्व और त्योहार के इस मौसम में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। यह आंकडा अभी और बडा हो सकता है। इन मामलों में संबंधित थाना प्रभारियों और चौकीदारों को निलंबित कर दिया गया है। 
शराबबंदी को लेकर पुलिस या सरकार कोई कोताही बरत रही
ऐसा नहीं की राज्य में शराबबंदी को लेकर पुलिस या सरकार कोई कोताही बरत रही हो। प्रतिदिन कहीं न कहीं से शराब बरामदगी की खबरे आती है। ऐसे में जब ऐसी बड़ी घटना घटती है कि इसकी गाज छोटे अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर ही गिरती है। अब सवाल उठ रहा है कि अगर छोटे अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं तो फिर वड़े अधिकारियों को क्लीनचिट कैसे दी जा सकती है?
बिहार के गोपालगंज जिले के महम्मदपुर थाना क्षेत्र में कथित तौर जहरीली शराब पीने से सरकारी आंकडों के मुताबिक कम से कम 11 लोगों की मौत हो चुकी है। इस मामले में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने महम्मदपुर थाना प्रभारी शशि रंजन कुमार और चौकीदार रंजीत राय को निलंबित कर दिया।
एक के बाद दूसरा मामला
अभी गोपालगंज में जहरीली शराब से लोगों की मौत होने का सिलसिला थमा ही नहीं था कि पश्चिम चंपारण में भी जहरीली शराब का तांडव प्रारंभ हुआ है और नौतन थाना क्षेत्र में कम से कम 14 लोगों की कथित जहरीली शराब पीने से मौत हो गई। 
छठ पूजा के बाद शराबबंदी की समीक्षा की जाएगी
इन घटनाओं के बाद बिहार सरकार भी सजग हुई और आनन-फानन में पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि छठ पूजा के बाद शराबबंदी की समीक्षा की जाएगी। इधर, पश्चिम चंपारण के नौतन थाना प्रभारी मनीष कुमार चौकीदार को निलंबित कर दिया गया।
इससे पूर्व 28 अक्टूबर को मुजफुरपुर के सरैया में भी कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से कम से कम सात लोगों की मौत मामले में भी थाना प्रभारी रविंद्र यादव और प्रभारी थाना प्रभारी मोहम्मद कलामुद्दीन पर गाज गिरी और इन्हें निलंबित कर दिया गया। अब कहा जा रहा है कि आखिरए इन छोटे अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को बलि का बकरा बनाकर सरकार इस शराबबंदी को लेकर क्या संदेश देना चाहती है।
छोटे अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई
ऐसा नहीं कि शराबबंदी के बाद केवल इसी पखवारे ऐसे मामले हैं। इससे पहले भी पश्चिम चंपारण और गोपालगंज जिले में ही ऐसे मामले सामने आ चुके हैे। उसमें भी कार्रवाई के नाम पर छोटे अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई थी। बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ कहते हैं कि न मौतों के जिम्मेदार केवल चौकीदार और थानेदार ही कैसे हो सकते हैं जबकि सरकार अपनी हठधर्मिता में बराबर दोषी है।
उन्होंने कहा कि सरकार भी इस मामले में दोषी है केवल पुलिस के अधिकारियों को निलंबित करके सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकती। इधर, बिहार के मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार कहते हैं कि फिलहाल जहरीली शराब से मौत की आशंका है। बिसरा रिपोर्ट जांच के बाद पुष्टि की जाएगी। उन्होंने कहा कि कानून का उल्लंघन करने का परिणाम अच्छा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि अभियान चलाकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
स्रोत- आईएएनएस

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