नई दिल्ली : सरकार ने ईंधन क्षेत्र में नई उदारीकृत खुदरा नीति जारी की है। इसके तहत ईंधन की खुदरा बिक्री के क्षेत्र में उतरने वाली कंपनियों को देशभर में कम से कम 100 पेट्रोल पंप लगाने होंगे और उनमें से पांच प्रतिशत पेट्रोल पंप दूरदराज इलाकों में होने चाहिये। सरकार ने पिछले महीने ही कंपनियों के लिये पेट्रोल पंप खोलने के नियमों में ढील दी थी। सरकार ने गैर-पेट्रोलियम कंपनियों को इस क्षेत्र में उतरने की अनुमति दी है।
नई नीति के मुताबिक देश में पेट्रोल पंप का लाइसेंस पाने के संशोधित प्रावधानों के तहत संबंधित कंपनी को न्यूनतम 100 पेट्रोल पंप लगाने होंगे, जिनमें कम से कम पांच प्रतिशत दूरस्थ इलाके में होने चाहिये। एक राजपत्र अधिसूचना में पेट्रोल पंप लगाने के संशोधित प्रावधानों की जानकारी दी गयी है। इसके तहत लाइसेंस पाने वाली कंपनी को पेट्रोल पंप का परिचालन शुरू होने के तीन साल के भीतर सीएनजी, बायो ईंधन, एलएनजी, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन आदि जैसे वैकल्पिक माध्यमों में से किसी एक के विपणन की सुविधा भी लगानी होगी।
इससे पहले पेट्रोल पंप के लिये लाइसेंस पाने के लिये एक कंपनी को पेट्रोलियम क्षेत्र में दो हजार करोड़ रुपये निवेश करने की जरूरत होती थी। अधिसूचना के अनुसार कि पेट्रोलियम उत्पादों के खुदरा विपणन का लाइसेंस पाने के लिये आवेदन करते समय कंपनी का न्यूनतम नेट वर्थ 250 करोड़ रुपये होना चाहिये। सरकार ने पेट्रोल पंप पाने का आवेदन शुल्क 25 लाख रुपये तय किया है।
अधिसूचना के अनुसार, लाइसेंस मिलने के पांच साल के भीतर कंपनी को देश भर में कम से कम 100 पेट्रोल पंप खोलने होंगे जिनमें कम से कम पांच प्रतिशत पेट्रोल पंप दूरस्थ इलाकों में अवस्थित होने चाहिये। सरकार ने इससे पहले 2002 मे पेट्रोल पंप लाइसेंस आवंटन के प्रावधानों को संशोधित किया था। इस नीति की समीक्षा उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद की गई है।
सरकार के पेट्रोलियम विपणन क्षेत्र में गैर-पेट्रोलियम कंपनियों को प्रवेश देने की नीति से वैश्विक स्तर की कंपनियों जैसे की फ्रांस की टोटल एसए, सउदी अरब की आरामको, ब्रिटेन की बीपी पीएलसी और ट्राफिगुरा की विपणन कंपनी पमा एनर्जी को भारतीय बाजार में आने का रास्ता मिलेगा।