Budget 2023-24 : कर छूट के कारण राजस्व में नुकसान सांकेतिक होगा - अर्थशास्त्री - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

Budget 2023-24 : कर छूट के कारण राजस्व में नुकसान सांकेतिक होगा – अर्थशास्त्री

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को केंद्रीय बजट भाषण में दावा किया कि प्रस्तावित कर छूट से सरकार को 30,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है, जिस पर आर्थिक विशेषज्ञों ने प्रतिक्रिया दी है।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को केंद्रीय बजट भाषण में दावा किया कि प्रस्तावित कर छूट से सरकार को 30,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है, जिस पर आर्थिक विशेषज्ञों ने प्रतिक्रिया दी है।
अर्थशास्त्र के प्रोफेसर शांतनु बसु के मुताबिक, पूरी संभावना है कि केंद्र सरकार आने वाले समय में कुछ और हथकंडे अपनाकर उस नुकसान की भरपाई कर लेगी।
बसु ने कहा, ‘पेट्रोल और डीजल की कीमत में सिर्फ एक रुपये की बढ़ोतरी से केंद्र सरकार को न केवल उस अनुमानित राजस्व नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी, बल्कि अतिरिक्त लाभ भी मिलेगा।’
अर्थशास्त्री पी.के. मुखोपाध्याय को लगता है कि हालांकि पुरानी और नई दोनों तरह की कर व्यवस्थाएं जारी हैं, लेकिन संकेत साफ हैं कि आने वाले दिनों में सिर्फ नई कर व्यवस्था ही डिफॉल्ट रूप से रहेगी।
मुखोपाध्याय ने कहा, ‘दो प्रणालियों में कर छूट के सावधानीपूर्वक अध्ययन से यह स्पष्ट है कि नई कर व्यवस्था को चुनने वालों को पुरानी कर व्यवस्था को चुनने वालों की तुलना में अधिक लाभ होगा। इसलिए, लोगों पर अप्रत्यक्ष दबाव है कि वे नई कर व्यवस्था को चुनें।’
वहीं, बसु ने कहा कि बजट में हताशा का एक और बिंदु – आसमान छूती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए प्रगतिशील उपाय नहीं है। उन्होंने कहा, ‘कम से कम केंद्रीय वित्तमंत्री जीवन रक्षक दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी में छूट देने पर विचार कर सकती थीं। मुद्रास्फीति के ज्वलंत मुद्दे को हल किए बिना केवल कर में छूट से लोगों का जीवन आसान नहीं होगा।’
मुखोपाध्याय को लगता है कि केंद्रीय वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में मौजूदा केंद्र प्रायोजित कल्याणकारी योजनाओं की सफलताओं और विफलताओं पर चर्चा को ध्यान से टाला है। उन्होंने कहा, ‘नई योजनाओं की घोषणा की गई थी। लेकिन अर्थशास्त्र के शिक्षक के रूप में मुझे लगता है कि बजट भाषण में उन क्षेत्रों को छूना चाहिए, जहां मौजूदा योजनाएं अपने वांछित परिणाम प्राप्त नहीं कर सकीं और उसी अनुसार सुधारात्मक उपाय सुझाना चाहिए था।’

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