गाजीपुर में किसानों के प्रदर्शन स्थल से हटे बैरिकेड्स, टिकैत बोले- रास्ते खुलेंगे तो फसल बेचने जाएंगे पार्लियामेंट - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

गाजीपुर में किसानों के प्रदर्शन स्थल से हटे बैरिकेड्स, टिकैत बोले- रास्ते खुलेंगे तो फसल बेचने जाएंगे पार्लियामेंट

दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर के पास गाजीपुर में किसानों के आंदोलन स्थल से दिल्ली पुलिस ने अवरोधक तथा कांटेदार तार हटाना शुरू कर दिया।

दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर के पास गाजीपुर में किसानों के आंदोलन स्थल से दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को अवरोधक तथा कांटेदार तार हटाना शुरू कर दिया। केन्द्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की 26 जनवरी को दिल्ली में ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हुई हिंसा के बाद, पुलिस ने वहां लोहे तथा सीमेंट के अवरोधक (बैरिकेड्स) और कांटेदार तार लगा दिए थे।
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सरकार की तरफ़ से आदेश है इसलिए हम बैरिकेडिंग हटाकर रास्ता खोल रहे हैं
गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों के धरना स्थल पर लगे बैरिकेडिंग को पुलिस ने हटाया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “सरकार की तरफ़ से आदेश है इसलिए हम बैरिकेडिंग हटाकर रास्ता खोल रहे हैं।” पुलिस अधिकारी और मजदूर गाजीपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग-9 पर लगाई गई लोहे की कीलों को भी हटाते हुए देखे गए, जहां सैकड़ों किसान नवंबर 2020 से सड़क़ों पर डटे हैं। ज्यादातर किसान भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) से संबद्ध हैं।
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रास्ते खुलेंगे तो हम भी अपनी फसल बेचने पार्लियामेंट में जाएंगे
वहीं बीकेयू राकेश टिकैत ने कहा कि “प्रधानमंत्री ने कहा था कि किसान अपनी फसल कहीं पर भी बेच सकता है। रास्ते खुलेंगे तो हम भी अपनी फसल बेचने पार्लियामेंट में जाएंगे। पहले हमारे ट्रैक्टर दिल्ली जाएंगे। हमने रास्ते नहीं रोक रखे हैं। हम आगे की योजना बनाकर बताएंगे।” कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न किसान संगठनों के प्रदर्शन की अगुवाई संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) कर रहा है।
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में नहीं हैं
अवरोधक हटाने का काम उच्चतम न्यायालय के 21 अक्टूबर के निर्देश के बाद किया जा रहा है, जिसमें शीर्ष अदालत ने दिल्ली के सीमावर्ती सिंघू, टिकरी और गाजीपुर में विरोध प्रदर्शनों के कारण बाधित सड़कों को खोलने को कहा था। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में नहीं हैं, जबकि केन्द्र सरकार इन्हें किसान-समर्थक बता रही है।

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