दिवंगत रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से चिराग हुए बेदखल, जानिए अब किस केंद्रीय मंत्री को हुआ अलॉट - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

दिवंगत रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से चिराग हुए बेदखल, जानिए अब किस केंद्रीय मंत्री को हुआ अलॉट

लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता को आवंटित बंगले से बेदखल कर दिया गया है।

लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता को आवंटित बंगले से बेदखल कर दिया गया है। सरकार ने 12 जनपथ रोड स्थित परिसर में एक टीम भेजी और चिराग पासवान का सामान उनके पिता को आवंटित घर से हटा दिया गया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास से दो दरवाजे नीचे 12 जनपथ रोड बंगला केंद्रीय मंत्रियों के उपयोग के लिए रखा गया है। चिराग पासवान को रामविलास पासवान की मृत्यु के लगभग एक साल बाद इस परिसर को खाली करना पड़ा है।
बंगले को स्मारक के रूप में बदलना चाहते थे चिराग  
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में पूर्व खाद्य मंत्री रामविलास पासवान के दिल की सर्जरी के कुछ दिनों बाद अक्टूबर 2020 में निधन हो गया था। यह घर दिल्ली में लोक जनशक्ति पार्टी का आधिकारिक पता रहा है और इसका इस्तेमाल पार्टी के सभी आधिकारिक कार्यक्रमों और संगठनात्मक बैठकों के लिए किया जाता था। रामविलास की मृत्यु के बाद पार्टी ने लॉन में उनकी प्रतिमा स्थापित करते हुए, बंगले को एक स्मारक में अवैध रूप से परिवर्तित कर दिया था। बताते चलें कि यह बंगला उन नेताओं के लिए है, जो पांच या छह बार सांसद रह चुके हैं। चूंकि चिराग दूसरी बार सांसद बने हैं, इसलिए इस बंगले में वह नहीं रह सकते थे। साथ ही ये बंगला मौजूदा रेल मंत्री को आवंटित कर दिया गया है। 
नॉर्थ एवेन्यू में में अलॉट हुआ नया बंगला
केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत संपदा निदेशालय ने बेदखली के आदेश को अमल में लाने के लिए शहर के बीचों-बीच स्थित बंगले में अपनी टीम भेजी। ध्यान देने वाली बात है कि केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले संपदा निदेशालय ने पिछले साल ही चिराग पासवान को बंगला खाली करने के लिए आदेश जारी किया था। एक सांसद के तौर पर चिराग पासवान को नॉर्थ एवेन्यू में पहले से ही घर आवंटित किया हुआ है। रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद उनकी लोक जनशक्ति पार्टी भी विभाजित हो गई, क्योंकि उनके बेटे और भाई पशुपति कुमार पारस के बीच उनकी विरासत और पार्टी के नेतृत्व को लेकर मतभेद पैदा हो गए। 

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