दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह 2020 के सांप्रदायिक दंगों से संबंधित एक मामले में जेएनयू के छात्र शरजील इमाम की ओर से दायर जमानत याचिका पर चार मई को सुनवाई करेगा जिसमें देशद्रोह के आरोप जुड़े हैं। याचिका में निचली अदालत के 24 जनवरी, 2022 के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसने शरजील की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। याचिका न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई थी।

2020 में हुए दंगों के आरोपों को लेकर गिरफ्तार किया गया था
पीठ ने मामले की सुनवाई मई में करना तय किया क्योंकि एक पक्ष के वकील सोमवार को उपलब्ध नहीं थे। अदालत ने 30 जनवरी को इस बारे में दिल्ली पुलिस का रुख जानना चाहा था कि 2020 के दंगों के सिलसिले में जमानत का अनुरोध करने वाले जेएनयू के छात्र शरजील इमाम की याचिका निचली अदालत को वापस क्यों नहीं भेज दी जाए। यह मामला देशद्रोह के आरोपों से संबद्ध है। उच्च न्यायालय ने कहा कि इमाम की जमानत याचिका खारिज करने वाले निचली अदालत के आदेश में कोई आधार नहीं दिया गया है। पीठ ने कहा कि चूंकि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह) को उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद स्थगित कर दिया है, इसलिए वह इमाम के खिलाफ लगाये गये अन्य आरोपों को ध्यान में रखते हुए निचली अदालत के आदेश की पड़ताल करेगी।
