Delhi: मेयर शैली ओबेरॉय को HC ने दिया झटका, कहा- दोबारा नहीं होंगे स्थाई समिति के चुनाव - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

Delhi: मेयर शैली ओबेरॉय को HC ने दिया झटका, कहा- दोबारा नहीं होंगे स्थाई समिति के चुनाव

दिल्ली में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच सियासी संग्राम जारी है। सीएम केजरीवाल के सरकारी आवास पर रिनोवेशन खर्च और केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर राजधानी में दोनों प्रमुख दल आमने-सामने हैं।

दिल्ली में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच सियासी संग्राम जारी है। सीएम केजरीवाल के सरकारी आवास पर रिनोवेशन खर्च और केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर राजधानी में दोनों प्रमुख दल आमने-सामने हैं। इसी बीच दिल्ली बीजेपी को एमसीडी के 6 स्थायी समिति सदस्यों के चुनाव को लेकर बड़ी राहत मिली है। 
दोबारा नहीं होंगे स्थाई समिति के चुनाव- हाई कोर्ट
आपको बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली मेयर शैली ओबेरॉय के दिए गए फैसले को खारिज कर दिया है। दरअसल, दिल्ली मेयर ने मेयर डिप्टी मेयर चुनाव के बाद प्रस्तावित स्थायी समिति के चुनाव को दोबारा करवाने का निर्णय लिया था, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इस फैसले को खारिज करते हुए कहा कि मेयर का दोबारा चुनाव कराने का फैसला लेना उनकी कानून में निहित शक्तियों के दायरे से बाहर था। इसके अलावा परिणाम घोषित करने के लिए भी कोर्ट ने आदेशित किया है।
 विकास के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार- शैली ओबेरॉय
कोर्ट से आदेश आने के बाद बीजेपी को एमसीडी में बड़ी राहत मिली है।जहां मेयर और डिप्टी मेयर पदों पर पूरी बहुमत के साथ आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार काबीज हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी के निर्वाचित पार्षद स्थाई समिति चुनाव के लिए लगातार संघर्ष कर रहे थे। कोर्ट का फैसला आने के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने फैसले का स्वागत किया। इसके अलावा शैली ओबेरॉय ने भी दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले पर कहा कि वह हाईकोर्ट के इस फैसले का सम्मान करती हैं और दिल्ली के बेहतर विकास के लिए एक साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है। 
आप और भाजपा में टकराव की स्थिति देखने को मिल सकती है
दिल्ली विधानसभा के साथ-साथ एमसीडी में भी भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी आमने-सामने है। दिल्ली हाई कोर्ट के इस निर्णय के बाद स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों का परिणाम घोषित करना अनिवार्य होगा और सदस्यों के कार्यकाल को भी नए सिरे से घोषित करना होगा. ऐसे में मौजूदा स्थिति देखते हुए यह आसान नहीं होगा।इसलिए एक बार फिर से आप और भाजपा में टकराव की स्थिति देखने को मिल सकती है। 

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