दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘हनी ट्रैप’ मामले की आरोपी महिला को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि जांच अभी आरंभिक चरण में है और यह पता लगाया जाना बाकी है कि क्या वह किसी अन्य मामले में शामिल थी। कोर्ट का कहना है कि महिला पर गंभीर अपराध का आरोप लगाया गया है और उसके फरार होने की आशंका है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (आरोपी महिला) के खिलाफ आरोपपत्र अभी दाखिल होना बाकी है। याचिकाकर्ता की आवाज का नमूना लिया जाना है और जांच भी की जानी है कि क्या कोई अन्य मामले हैं जिनमें याचिकाकर्ता शामिल थी और जैसा कि पहले कहा गया है कि जांच प्रारंभिक चरण में है। याचिकाकर्ता पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 328 के तहत अपराध का आरोप है, जो एक गंभीर अपराध है।’’
न्यायाधीश ने 16 अगस्त के अपने आदेश में कहा, ‘‘कोर्ट को लगता है कि यह एक उपयुक्त मामला नहीं है जहां याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी की स्थिति में जमानत दी जानी चाहिए। इसलिए, याचिका खारिज की जाती है।’’ मामले में एफआईआर में कहा गया है कि शिकायतकर्ता अपने परिचित व्यक्ति के घर गया था, जहां आरोपी महिला को शिकायतकर्ता से अपनी प्रेमिका के रूप में उसने मिलवाया।
दावा किया गया कि शीतल पेय पीने के बाद शिकायतकर्ता को चक्कर आने लगा और वह बेहोश हो गया। होश में आने पर उसने आरोपी महिला को आपत्तिजनक स्थिति में देखा। शिकायत के मुताबिक इसके बाद उसने अपने दोस्त को घटना के बारे में बताया। लेकिन दोनों उससे एक मोबाइल फोन, एक टीवी और दो लाख रुपये नकदी की मांग करने लगे। मांग पूरी नहीं होने पर महिला ने दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाने की चेतावनी दी। बाद में महिला और उसके दोस्त ने व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया।
हाई कोर्ट ने कहा कि एफआईआर के विवरण पढ़ने से पता चलता है कि यह ‘हनी ट्रैप’ का मामला है। मामले में एक तरफ स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच और दूसरी तरफ उत्पीड़न की रोकथाम और अनुचित हिरासत के बीच संतुलन बनाना होगा। पुलिस ने इस आधार पर अग्रिम जमानत देने का विरोध किया कि वर्तमान मामला ‘हनी ट्रैप’ का है और जब शिकायतकर्ता ने तत्काल प्राथमिकी दर्ज करायी तो महिला छिप गई तथा तब सामने आई जब मामले में सह-आरोपी उसके प्रेमी को जमानत मिल गयी।