प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल (शुक्रवार) को तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा की। इसके बाद शनिवार को गाज़ीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी एक बड़ा सवाल है, उस पर भी कानून बन जाए, क्योंकि किसान जो फसल बेचता है उसे वह कम कीमत पर बेचता है, जिससे बड़ा नुक़सान होता है।
अभी बहुत से क़ानून सदन में है, उन्हें फिर ये लागू करेंगे
उन्होंने कहा कि अभी बातचीत करेंगे, यहां से कैसे जाएंगे। अभी बहुत से क़ानून सदन में है, उन्हें फिर ये लागू करेंगे। किसान नेता ने कहा कि एमएसपी हम बातचीत करना चाहते हैं। आज संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग है। जो भी उसमें निर्णय लिया जाएगा उसके बाद ही हम कोई बयान देंगे।
केंद्र ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है
देश के लगभग 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधि समूह संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा का शुक्रवार को स्वागत किया और कहा कि शनिवार और रविवार को कोर कमेटी की बैठकों के बाद भविष्य की कार्रवाई पर फैसला किया जाएगा।किसान नेता और एसकेएम की कोर कमेटी के सदस्य दर्शन पाल ने कहा कि यह अच्छा है कि केंद्र ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है, लेकिन संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में कानूनों को औपचारिक रूप से रद्द करने की मांग की गई है।

जब तक ये मांगें पूरी नहीं हो जातीं, हम विरोध स्थलों को नहीं छोड़ेंगे
उन्होंने कहा कि दूसरी मांग यह है कि केंद्र सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एक समझौता करना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम एमएसपी पर कानूनी गारंटी चाहते हैं।’’ पाल ने कहा, ‘‘जब तक ये मांगें पूरी नहीं हो जातीं, हम विरोध स्थलों को नहीं छोड़ेंगे। आंदोलन के भविष्य पर आम सहमति बनाने और एमएसपी और किसानों की अन्य मांगों पर चर्चा करने के लिए शनिवार और रविवार को किसान संगठन की बैठक होगी। रविवार को एसकेएम की कोर कमेटी की बैठक में अंतिम फैसला लिया जाएगा।’’ एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘‘संयुक्त किसान मोर्चा इस फैसले का स्वागत करता है। हम संसदीय प्रक्रिया के माध्यम से इस घोषणा के क्रियान्वयन की प्रतीक्षा करेंगे।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘हमें उम्मीद है कि सरकार अपनी घोषणा को व्यर्थ नहीं जाने देगी और एमएसपी की गारंटी पर कानून समेत हमारी मांगों को पूरा करेगी।’’
यदि कृषि कानूनों को औपचारिक तौर पर निरस्त किया जाता है….
किसान संगठन ने कहा कि यदि कृषि कानूनों को औपचारिक तौर पर निरस्त किया जाता है तो यह भारत में किसानों के एक साल लंबे संघर्ष की ‘‘ऐतिहासिक जीत’’ होगी। एसकेएम ने कहा, ‘‘कृषि विरोधी कानून के खिलाफ आंदोलन की पहली वर्षगांठ के मौके पर 26 नवंबर को बड़ी संख्या में किसानों को विरोध स्थलों पर लामबंद किया जा रहा है।’’