नए संसद भवन को लेकर बीते कुछ दिनों से सियासत तेज हो गई है लगातार विपक्ष समेत कई दल के नेता इसका विरोध कर रहे है इस बीच कांग्रेस के नेता गौरव वल्लभ ने शनिवार को केंद्र सरकार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नए संसद भवन का उद्घाटन कराकर देश के लोकतांत्रिक ढांचे की परंपराओं को नष्ट करने का आरोप लगाया।
राष्ट्रपति से उद्घाटन न कराना शर्मनाक
गौरव वल्लभ ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति का पारंपरिक अभिभाषण संसदीय प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है और उनसे नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं कराया जाना शर्मनाक है। कांग्रेस नेता ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद-87 दो उदाहरण प्रदान करता है जब राष्ट्रपति विशेष रूप से संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हैं- एक आम चुनाव के बाद पहले सत्र की शुरुआत में और दूसरा प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र में वहीं दूसरी तरफ उद्घाटन समारोह के बहिष्कार को लेकर कई पार्टियां इसे गलत बता रही है।
उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करना गलत
वैसे तो देश भर से विपक्षी पार्टियां पीएम मोदी द्वारा संसद भवन के उद्घाटन किए जाने से नाराज दिख रही हैं। लेकिन उद्घाटन समारोह का 19 विपक्षी दलों द्वारा बहिष्कार करने के फैसले के बीच महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने भी बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि यह बहिष्कार न केवल नागरिकों का अपमान है। बल्कि संविधान का भी अपमान है।
19 विपक्षी दलों ने किया समारोह का बहिष्कार
कांग्रेस, एनसीपी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शिवसेना यूबीटी आम आदमी पार्टी सहित 19 विपक्षी दलों ने 28 मई को होने वाले उद्घाटन समारोह के बहिष्कार करने की घोषणा की है । तबसे ही इस पर सियासत तेज हो गई है। विपक्ष लगातार इस बात पर जोर दिया कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए, प्रधानमंत्री द्वारा नहीं। इसी बात से नेता में नाराजगी देखने को मिल रही है।

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