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बचाव में ही बचाव है

बदलता मौसम कभी भी सहज नहीं होता यह हमेशा कुछ न कुछ प्रभाव छोड़कर जाता है।

बदलता मौसम कभी भी सहज नहीं होता यह हमेशा कुछ न कुछ प्रभाव छोड़कर जाता है। हम पिछले तीन साल से कोरोना से लड़ते रहे हैं और बड़ी मुसीबतें झेलकर पूरी ताकत के साथ लड़ते हुए देशवासियों ने इसका सामना किया है लेकिन फिर भी बहुत नुक्सान हुआ। बीमारी, मुसीबत और दुश्मन को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए। यह सब सांप की तरह होते हैं। जब भी फन उठाते हैं तो हमें इसे जड़ से खत्म कर देना चाहिए। पिछले तीन महीने से लोगों को सुखी खांसी और गले में खराश की शिकायत थी जिसके बारे में अब सरकारी तौर पर खुलासा हुआ है कि यह एक खास किस्म का वायरस है जिसका नाम एच3एन2 इन्फ्लुएन्जा है। बड़ी बात यह है कि दो दिन पहले ही हरियाणा और कर्नाटक में इस बीमारी से दो लोगों की मौत हो गई है। ऐसे में संभलकर रहने का वक्त आ गया है। सरकार की ओर से बराबर एडवाइजरी भी जारी की गयी है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी कदम-कदम पर अलर्ट कर रहा है कि गले में दर्द, तेज खांसी और सर्दी-जुकाम या तेज सरदर्द या शरीर में दर्द हो तो ये इस इन्फ्लुएन्जा के सिंट्रम हो सकते हैं। इन सभी संकेतों के साथ-साथ तेज बुखार भी आ सकता है। इन लक्षणों के आते ही इलाज शुरू कर देना चाहिए।
मेडिकल एडवाइजरी के अनुसार इलाज कम और उपचार ज्यादा होना चाहिए। कुल मिलाकर हम लोगों में एक अजीब सी बात है कि तुरंत अंधाधुंध एंटीबाइटिक खाने लगते हैं। मेडिकल एडवाइजरी बताती है कि गले में खांसी की सूरत में या दर्द की सूरत में या गला बैठ जाने की स्थिति में एंटीबाइटिक से बचकर चलिए। देशी फार्मूला ज्यादा कारगर रहता है। चाहे अदरक, शहद या अजवायन या गुड़ का सेवन ज्यादा कारगर सिद्ध हो रहा है। जैसा कि मैंने खुद कई चैनलों पर और कई ग्रुप्स में यही पाया है कि इसी इन्फ्लुएन्जा को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही थी परंतु अब बहुत कुछ सामने आ रहा है। इसलिए उपचार करना जरूरी है। मेरे अनेक अच्छे डॉक्टर जान-पहचान में हैं जो बराबर मुझे मैसेज कर रहे हैं कि लोगों को आजकल तेज खांसी की स्थिति में एंटीबाइटिक से बचाने के लिए आप उन्हें प्रेरित करते रहिए। डाक्टरों का कहना है कि एंटीबाइटिक इसी इन्फ्लुएन्जा में असर नहीं करती। चिंता की बात यह है कि हरियाणा में यह मामला बढ़ रहा है। जो रिपोर्ट आई है उसके अनुसार देश में अभी तक इस इन्फ्लुएन्जा के सौ के लगभग मामले आए हैं इसलिए सतर्कता ही जरूरी है। डाक्टरों के अनुसार यह एक साधारण फलू होते हुए भी तेजी से फैलने की क्षमता रखता है। एक विशेष एडवाइजरी यह भी सामने आई है कि ठंडा पानी, ठंडे कोल्ड ड्रिंक और बर्फ से बचते हुए जितना संभव हो गर्म पानी का सेवन किया जाना चाहिए। 
इस इन्फ्लुएन्जा के बारे में डब्ल्यूएचओ ने भी एक रिपोर्ट में कहा था कि ड्राई खांसी एशिया में तेजी से फैल रही है और यह वायरल हो सकती है लेकिन घबराने की आवश्यकता नहीं है। चिंता की बात यह है कि यह पन्द्रह से बीस-पच्चीस दिन तक किसी को भी अपनी चपेट में ले सकती है। तो ऐसी सूरत में गर्म पानी का सेवन एक अच्छा उपचार है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के मामले जो भारत में पिछले दिनों बहुत कम थे अब एक्टिव केस 3500 के आसपास भारत में हैं। हालांकि यह आंकड़ा डराने वाला नहीं है लेकिन बीमारी तो बीमारी है जितना बचाव हो सके वह जरूरी है। भारत के दक्षिण में कोरोना के केस सामने आ रहे हैं। उत्तर भारत इस मामले में सुरक्षित है। अलग-अलग डाक्टर और एक्सपर्ट अपनी बातें सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं और वे लोगों को खानपान के बारे में भी अलर्ट कर रहे हैं। कुछ एक्सपर्ट तो मास्क लगाने की भी सलाह दे रहे हैं जिसका सम्मान किया जाना चाहिए।
कुछ डाक्टर खांसी वाले लोगों को भीड़ वाले स्थानों में ना जाने की हिदायत भी दे रहे हैं तो इसका भी पालन किया जाना चाहिए, यह गलत नहीं है परंतु यह सच है कि अगर हम सतर्कता के साथ उपचार सही कर लेते हैं तो इन्फ्लुएन्जा तो क्या किसी भी बीमारी के संक्रमण से बच सकते हैं। बीमारी के आने पर इलाज करने से अच्छा है पहले ही उपचार कर लिया जाये ताकि बीमारी फैलने ना पाये। सोशल मीडिया आजकल लोगों को अच्छी सतर्कता दे रहा है लेकिन कई गलत चीजों को वायरल भी कर रहा है। तरह-तरह की दवाओं के सेवन की सलाह भी सोशल मीडिया दे रहा है जबकि डाक्टर खुद एंटीबाइटिक से परहेज की बात कर रहे हैं। कुल मिलाकर आज की दुनिया में कोई  कैसे सुरक्षित रह सकता है। यह हमारे रहन-सहन पर बहुत निर्भर करता है। ठीक ही कहा गया है सादा खाना और सुखी रहना अच्छे स्वास्थ्य का एक मंत्र माना जाना चाहिए। उपचार हमारे शरीर को स्वस्थ व ऊर्जावान बनाता है। इसलिए सतर्क रहते हुए उपचार करें और अंधाधुंध दवाओं के सेवन से बचें। खुद को इन्फ्लुएन्जा से बचाएं। इसी मंत्र पर हमें चलना होगा क्योंकि बचाव में ही बचाव है। वरना याद रखो कोरोना के दिनों में यही कहा जाता था सावधानी हटी और दुर्घटना घटी। 

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