होली : रंग-प्रकृति और बुराई पर अच्छाई की जीत... - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

होली : रंग-प्रकृति और बुराई पर अच्छाई की जीत…

होली का पवित्र त्यौहार आ रहा है। लोग रंगों से और फूलों से होली खेलते हैं। होली सिर्फ एक प्रेम और रंगों का त्यौहार नहीं बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है

होली का पवित्र त्यौहार आ रहा है। लोग रंगों से और फूलों से होली खेलते हैं। होली सिर्फ एक प्रेम और रंगों का त्यौहार नहीं बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है। जरा देखिए कि दशहरा यानि कि विजयदशमी बुराई पर अच्छाई का त्यौहार है। इसी से जुड़ी दिवाली है जो बुराई पर जीत से जुड़ी होने के अगले पग के साथ आगे चलती है। चौदह साल का वनवास और रावण पर विजय के बाद भगवान राम की जब अयोध्या वापसी होती है तो उनके सम्मान में दीये जलाकर लोग खुशी व्यक्त करते हैं। आज जब होली की बात कर रहे हैं तो मथुरा और वृंदावन में एक रंगों और प्रेम भरा उत्सव श्रीकृष्ण और राधा से जुड़ा है और इसकी धूम मची हुई है। सच तो यह है कि आज के कंप्यूटर और मोबाइल के जमाने में हमारी नई पीढ़ी को पता होना चाहिए कि होली बुराई पर अच्छाई का त्यौहार भी है। किस प्रकार भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद ने अपने पिता की बात ठुकराकर जिन्हें एक राजा होने के साथ-साथ यह अहंकार हो गया था कि मैं ही भगवान हूं, भगवान की दिल से पूजा की। भगवान विष्णु ने उन्हें पुत्र रूप में कहा कि इस सृष्टि का स्वामी मैं हूं, यही कहानी आगे चलकर बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में प्रमाणित हुई।
राजा ​िहरणयाकश्यप ने अपने पुत्र भक्त प्रह्लाद को मारने की बहुत कोशिश की लेकिन भगवान विष्णु ने हर बार उसे बचाया। आखिरकार ​हिरणयाकश्यप ने अपनी बहन होलिका को कहा कि तुम प्रह्लाद को गोदी में रखकर आग में बैठ जाओ तुम्हें वरदान मिला हुआ है कि तुम आग में नहीं जल पाओगी और प्रह्लाद जल जायेगा लेकिन होलिका ने जब ऐसा किया तो वरदान गलत हो गया, वह खुद जलकर खाक हो गयी और प्रह्लाद सुरक्षित रहा। कहने का मतलब यह है कि बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो अच्छाई के सामने बहुत छोटी है। चाहे दशहरा हो या दिवाली या फिर होली हम सबको बुराई और बुरी भावना खत्म करनी होगी। दुनिया को प्यार की जरूरत है। स्नेह से आगे बढ़ने की जरूरत है। भगवान कृष्ण या राधा हो, भगवान राम या माता सीता हो, भगवान विष्णु या माता लक्ष्मी हो या भगवान शिव-पार्वती या भगवान ब्रह्मा भी क्यों न हो या फिर महालक्ष्मी, महासरस्वती, महाकाली जैसी कितनी भी शक्तियां क्यों न हो इन सभी ने बुराई का अलग-अलग रूपों में अन्त किया है। हमें भी यही संदेश मिला है कि बुराई से दूर रहो और सदा अच्छा काम करो। 
आज होली के बारे में अगर गंभीरता पूर्वक सोचा जाये तो बसंत ऋतु और फागुन महीने के रिश्ते को देखिए कि प्रकृति कितनी मेहरबान होती है। भगवान श्रीकृष्ण इसी फागुन के महीने में फूलों की होली चंदन की खुशबू के साथ खेलते थे लेकिन हमारे इसी समाज में होली के रंगों की आड़ में या अपना व्यापार बढ़ाने की कोशिश में रंगों में कैमिकल मिलाकर ज्यादा मुनाफा कमाने की कोशिश अगर की जाती है तो यह एक बुराई है। आइए इस होली पर इस बुराई का खात्मा करें। आजकल हैरान कर देनी वाली बात है कि फरवरी महीने में और मार्च के शुरूआत में ही तापमान 35 डिग्री पार कर रहा है और वैज्ञानिक इसके ऊपर शोध कर रहे हैं। वरना इससे पहले फरवरी और मार्च के शुरूआत में इतना गर्म मौसम कभी नहीं हुआ। कहीं न कहीं प्रकृति से छेड़छाड़ होती है तभी तरह-तरह की प्राकृतिक आपदाएं सामने आती हैं। यह बात आध्यात्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिकों की अवधारणा अब यही है।
हर त्यौहार का अपना एक महत्व है और हर त्यौहार की अपनी एक सीख है और सबसे बड़ी बात यह है कि हर त्यौहार की अपनी एक अवधारणा भी है। इसीलिए मैं कहती हूं कि होली केवल रंगों का त्यौहार नहीं बल्कि प्राकृतिक तौर पर हमें भगवान ने जो ऋतुएं बनाई हैं उनका सम्मान करना चाहिए। परिवर्तन प्रकृति का नियम है इसे स्वीकार करना चाहिए और खुद परिवर्तनकारी बनने की कोशिश से दूर रहते हुए होली को बदरंग बनाने से रोकना होगा। बुरे तत्व तो द्वापर, सतयुग और त्रेता में भी रहे हैं लेकिन अब समय तरह-तरह की चुनौतियां ला रहा है। हम सबको मौसम की चुनौतियों के बीच यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारी आस्था, हमारा प्यार मानवता को समर्पित है। यह संदेश केवल दिवाली, दशहरे का नहीं बल्कि होली का भी है। बुराई से दूर रहकर अच्छाई से रिश्ता जोड़कर जब आगे बढ़ते हैं तो यही परोपकार की भावना मानवता में बदल जाती है और दुनिया को मानवता की जरूरत है। भारत का धर्म, भारत के संस्कार और भारत की संस्कृति भी परोपकार पर ही टिकी है और यह परोपकार हमें दिवाली, दशहरा, होली जैसे त्यौहारों के परम पवित्र संदेश से ही मिला है। 

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