मुम्बई में खसरा का प्रकोप - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

मुम्बई में खसरा का प्रकोप

कोरोना महामारी का प्रकोप शांत होने के बावजूद एक तरफ चीन में कोरोना के 31000 से ज्यादा केस आने से लोगों में एक बार फिर भय का वातावरण बन गया है।

कोरोना महामारी का प्रकोप शांत होने के बावजूद एक तरफ चीन में कोरोना के 31000 से ज्यादा केस आने से लोगों में एक बार फिर भय का वातावरण बन गया है। वहीं महाराष्ट्र में मुंबई और इसके आसपास के इलाकों में खसरे का प्रकोप बढ़ने से राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की चिंताएं काफी बढ़ गई हैं। खसरे से अब तक 13 बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खसरा जिसे मीसल्स रूबेला भी कहा जाता है एक संक्रामक वायरल बीमारी है, एक से दूसरे में आसानी से फैल जाती है। बच्चे इसका सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। मुश्किल यह भी है कि बच्चों में खसरे के टीके लगने के बाद भी वे संक्रमित हो रहे हैं। ऐसी रिपोर्टें सामने आई हैं कि मुंबई में लगभग 30 बच्चे ऐसे पाए गए हैं जिन्हें 9 माह से कम उम्र में ही मीसल्स की पहली वैक्सीन लग चुकी है। यह पोलियो के बाद एक घातक बीमारी मानी जाती है। भारत में पोलियाे उन्मूलन के लिए देशव्यापी टीकाकरण अभियान चलाया गया था। जिसके परिणाम स्वरूप पोलियो के मामले अब कभी कभार ही सामने आते हैं। मुंबई में 2019 में खसरे से सिर्फ तीन मौतें दर्ज की गई थी। 2020 में भी केवल तीन मौतें हुई थी। 2021 में केवल एक मौत की पुष्टि हुई थी। लेकिन इस साल अब तक लगभग 600 मामले दर्ज किए गए हैं। मालेगांव, भिवंडी, नासिक, ठाणे, अकोला, यवतमाल, कल्याण और वसई विरार क्षेत्रों में यह बीमारी तेजी से फैल रही है। मुंबई के सात इलाके धारावी, गवंडी, कुर्ला, महिम, बांद्रा और माटूंगा हॉट-स्पॉट बन गए हैं।
खसरे का प्रकोप हर दो से तीन सालों के बाद देखने को मिल जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक 5 देशों को खसरा मुक्त घोषित किया है। अ​ब तक श्रीलंका, मालदीव, भूटान, नेपाल, तिमोर-लेस्ते, बंगलादेश शामिल हैं। किसी बीमारी का उन्मूलन तब घोषित किया जाता है जब उस बीमारी का एक भी मामला विगत तीन वर्षों में संज्ञान में न आया हो, लेकिन भारत अभी भी खसरा उन्मूलन के लिए काफी पीछे है। मुंबई और आसपास के इलाकों में खसरा रोग फैलने के कारणों की जांच के लिए यद्यपि  टीमें गठित कर दी गई हैं, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों और ​अधिकारियों का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते सारा ध्यान उस पर ही लगा रहा। कोरोना वैक्सीनेशन के महा​अभियान के चलते दूसरे कार्यक्रमों पर ध्यान ही नहीं गया। खसरे के टीके के दो डोज 9 और 15 महीने के बच्चों को लग जानी चाहिए। कोरोना टीका अभियान के चलते बच्चों को खसरे के टीके लगाए ही नहीं गए। मुंबई और आसपास के इलाकों में 20,000 से ज्यादा ऐसे बच्चे पाए गए  जिनके खसरे का टीका लगा ही नहीं। अक्तूबर में जब खसरे के केस सामने आए तब तक के आंकड़े बताते हैं कि मुंबई में 41 प्रतिशत बच्चों को ही टीके लगाए गए थे। इसका अर्थ यही है कि 48 प्रतिशत बच्चों को टीका नहीं लगा। जिन्हें टीका लगा भी उनको दूसरी डोज नहीं मिली। या ​फिर पहली डोज दूसरी डोज में काफी अंतर आ चुका है। अब ऐसे बच्चों को ढूंढा जा रहा है। जिन्हें अब तक टीका नहीं लगा।
दुनिया भर में खसरे से होने वाली मौतों में एक तिहाई से अधिक भारतीय बच्चे शामिल हैं। केन्द्र सरकार ने इससे निपटने के लिए 2005 में टीकाकरण अभियान शुरू किया था। टीकाकरण अभियान के चलते ही देश भर में 50,000 मौतों को टाला जा चुका है। कोरोना महामारी पर नियंत्रण भी सफल टीकाकरण अभियान के चलते ही पाया जा सका है। खसरा उन्मूलन के लिए टीकाकरण अभियान को एक ऐसे स्तर तक पहुंचाना होगा जब कोई भी संक्रमित व्यक्ति किसी अन्य को खसरा फैलाने में असमर्थ हो, क्योंकि उनका टीकाकरण हो चुका है। जब आप को एक बीमारी का सफाया करने के लिए हस्तक्षेप और निगरानी दोनों की जरूरत हो तो जरा सी भी चूक महंगी पड़ सकती है। पोलियो एक ऐसी बीमारी रही जिससे टीकाकरण से ही सफलतापूर्वक खत्म किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोराेना काल के दौरान दुनियाभर में लगभग 4 करोड़ बच्चे खसरे के टीके की खुराक से चूक गए। 2.5 करोड़ बच्चों ने अपनी पहली खुराक ही नहीं ली जबकि 1.47 करोड़ बच्चों ने अपनी दूसरी खुराक नहीं ली। टीकाकरण में चूक के चलते ही जिन देशों को खसरा उन्मूलन के करीब समझा जाता था अब वहां भी खसरा के मामले बढ़ रहे हैं।
भारत जैसे देश में आज भी टीकों के प्रति जागरूकता कम है। जागरूकता की कमी के चलते या धार्मिक कारणों से लोग आज भी अपने बच्चों को टीके नहीं लगाते। सवाल तो लोगों ने कोरोना वैक्सीन पर भी उठाए थे। केन्द्र सरकार ने 2023 तक देश को खसरा मुक्त कराने का लक्ष्य रखा है, लेकिन लगता नहीं हम इस लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे। खसरे को मिटाने के लिए देशव्यापी टीकाकरण की जरूरत है। और इसके लिए पोलियाे उन्मूलन जैसा अभियान चलाने की जरूरत है। जिस तरह से पोलियो उन्मूलन अभियान में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के डाक्टरों की भूमिका रही वैसी ही भूमिका आज निभाने की जरूरत है। लोगों को बच्चों को खसरा टीका लगवाने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि घर-घर अभियान चलाया जाए। लोग भी अपने बच्चों को लेकर सावधानी बरतें और उनका सही समय पर टीकाकरण करवाएं।
आदित्य नारायण चोपड़ा

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