अफगानिस्तान पर मोदी का एजेंडा ! - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

अफगानिस्तान पर मोदी का एजेंडा !

रोम में 30-31 अक्टूबर को होने वाली जी-20 शिखर बैठक भारत के लिए बहुत अहम है। इस शिखर सम्मेलन के साथ ही भारत इस शक्तिशाली समूह की नई ट्राॅयका में शामिल हो जाएगा।

रोम में 30-31 अक्टूबर को होने वाली जी-20 शिखर बैठक भारत के लिए बहुत अहम है। इस शिखर सम्मेलन के साथ ही भारत इस शक्तिशाली समूह की नई ट्राॅयका में शामिल हो जाएगा। ट्रॉयका यानी जी-20 शिखर बैठक के पिछले मौजूदा और भावी आयोजक, दरअसल इटली के बाद जी-20 शिखर बैठक का आयोजन इंडोनेशिया को करना है और उसके बाद भारत 2023 में इस समूह की शिखर बैठक की मेजबानी करेगा। रोम में होने वाली अहम आर्थिक चिंतन बैठक यानी जी-20 मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ नजर आएंगे। इतना ही नहीं वाशिंगटन में पिछले माह हुई क्वाड नेताओं की पहली बैठक के बाद भारत अमेरिका और आस्ट्रेलिया के नेता एक साथ दिखाई देंगे जापान के नये प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा चुनाव के कारण शिखर बैठक में शामिल नहीं होंगे। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इटली यात्रा की बजाय वीडियो लिंक के जरिए शामिल होंगे। जलवायु परिवर्तन पर ब्रिटेन के ग्लासगो में होने वाली सीओपी 26 बैठक में भी भाग लेंगे। जी-20 की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे में अफगानिस्तान शीर्ष पर होगा। अफगानिस्तान में इस समय जनता की स्थिति बहुत दयनीय है। लोग भुखमरी और आतंकी घटनाओं से जूझ रहे हैं। इस्लामिक स्टेट आफ खुरासान का तेजी से बढ़ना और अफगानिस्तान में शिया मस्जिदों पर हमला गंभीर चिंता का विषय है। महिलाओं पर अत्याचार ढाये जा रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे मध्यकालीन बर्बर युग की वापसी हो गई है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफगानिस्तान के मामले में सामूहिक रूप से कुछ करने का सुझाव दे सकते हैं ताकि मानवता की रक्षा की जा सके। ​​​स्थिति  बहुत जटिल है। हाल ही में अफगानिस्तान पर रूस ने मास्को फार्मेट बैठक की थी। इस वार्ता में रूस, चीन, पाकिस्तान, ईरान, भारत, कजाकस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। मास्को फार्मेट के बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान के साथ संबंधों में अब नई हकीकत को ध्यान में रखना होगा। तालिबान अब सत्ता में है, भले ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तािलबान को मान्यता दे या न दे। बयान में यह भी कहा गया है कि अफगािनस्तान में तालिबान की सरकार को शासन व्यवस्था में सुधार करना होगा ताकि एक समावेशी सरकार बनाई जा सके। समावेशी सरकार से मतलब है कि अफगानिस्तान में सभी समुदायों को सत्ता में प्रतिनिधित्व मिले। रूस को भारत का खास दोस्त माना जाता है, ऐसे में भारत ने मास्को फार्मेट के बयान को लेकर आपत्ति नहीं जताई क्योंकि इसका आयोजन रूस ने ही किया था। 
भारत चाहता है कि अफगानिस्तान को लेकर ​जितने भी समूह बने या वार्ता हो उसमें वो भी शामिल रहे। अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में जुटे भारत का अरबों का निवेश खतरे में है। ऐसी स्थापित में भारत को सतर्कता से बढ़ना होगा। मास्को बैठक के बाद अफगानिस्तान को लेकर भारत की नीति में बदलाव के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। भारत ने अफगानिस्तान में मानवीय सहायता की बात भी स्वीकार की है। अब देखना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-20 बैठक में जो कार्ययोजना पेश करेंगे उसका प्रारूप क्या होगा। सामाजिक विशेषज्ञों का मानना है ​की अफगानिस्तान मामले में भारत बहुत दिनों तक मैदान के बाहर बैठकर देखता नहीं रह सकता। जिस तरह से चीन और पाकिस्तान अफगानिस्तान के मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं उससे भारत को भी अपनी नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से आयाेजित 26वें सम्मेलन में भाग लेंगे। जलवायु परिवर्तन पर भारत का एजेंडा बहुत स्पष्ट है। बैठक से पहले ही भारत ने अमीर देशों से पर्यावरण को पोहोंचे नुक्सान के बदले मुआवजे की मांग की है। भारत का स्टैंड है ​िक नुक्सान के लिए मुआवजा होना चाहिए और विकसित देशों को इसकी भरपाई करनी चाहिए । भारत इस मुद्दे पर गरीब आैर विकासशील देशों के साथ खड़ा है। भारत ने अमेरिका के जलवायु दूत जॉन केरी के आगे भी जलवायु आपदाओं के मुआवजे के मसले को उठाया ​था। वैज्ञानिक पिछले काफी सालों से चेतावनी दे रहे हैं कि मानव गतिविधियां ग्लोबल विमार्ग का कारण बन रही हैं और इससे जलवायु परिवर्तन उस स्तर तक पहुँच सकता है जिसके बाद इसे रोकना असंभव हो जाएगा और मानवता खतरे में पड़ जाएगी। ग्लासगो बैठक में जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने पर चर्चा होगी। विकसित देश हमेशा जलवायु परिवर्तन के लिए विकासशील देशों को जिम्मेदार ठहराते आए हैं। जबकि उन्होंने स्वयं पर्यावरण को बहुत नुक्सान पहुंचाया है। 
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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