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जीवन में जहर घोलता प्लास्टिक

देशभर में आज से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लग गया है। इसके तहत प्लास्टिक से बनी 19 चीजें मिलनी बंद हो जाएंगी।

देशभर में आज से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लग गया है। इसके तहत प्लास्टिक से बनी 19 चीजें मिलनी बंद हो जाएंगी। इनमें से राेजमर्रा की जिन्दगी में इस्तेमाल होने वाली कई चीजें शामिल हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक यानी प्लास्टिक से बनी ऐसी चीजें, जिसका हम सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर इनका इस्तेमाल कर फैंक देते हैं। इससे पर्यावरण को भारी नुक्सान पहुंच रहा है। पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि अगर इनका इस्तेमाल किया गया तो उनको दंड मिलेगा। इसमें जेल और जुर्माना भी शामिल  है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्लास्टिक हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है, इसे अलग किया जाए तो कैसे?
मैं पांच वर्ष पहले आई एक रिपोर्ट का जिक्र करना चाहूंगा, जसका शीर्ष था-मनुष्य का पेट माइक्रो प्लास्टिक का समुद्र बन चुका है। इस रिपोर्ट  पर चर्चा तो बहुत हुई लेकिन मानव नहीं जागा। हाल ही में नीदरलैंड के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए परीक्षण में इंसानी खून में पहली बार माइक्रो प्लास्टिक के कण पाए गए हैं। इससे पूरी दुनिया चिंतित हो गई है। माइक्रो प्लास्टिक के ऐसे सूक्ष्म कण पाए गए, जिनका व्यास 0.2 इंच से भी कम था। शोधकर्ताओं ने 22 रक्त नमूनों की जांच की, जिनमें से 17 में ऐसे कण पाए गए। इनमें से आधे नमूनों में पालीथिन टेरेफर्थलेट था, जिसका उपयोग ड्रिंकिंग बाटल बनाने के लिए होता है। 
खाद्य पैकेजिंग में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले पॉलीस्टाइनिन में 36 प्रतिशत और पैकेजिंग फिल्मों और बैग में इस्तेमाल होने वाले पॉलीइथाइलीन 23 प्रतिशत पाया गया। दरअसल प्लास्टिक एक रसायन है, जिसका हम अलग-अलग तरह से इस्तेमाल करते हैं। यह हमारे जीवन का हिस्सा हो चुका है। यह डिलेड बायोडिग्रेडेबल और नॉन-बायाेडिग्रेडेबल पदार्थ है।
डिलेड बायाेडिग्रेडेबल  का मतलब है कि इसके नष्ट होने में बहुत समय लगे और नॉन-बायाेडिग्रेडेबल का मतलब है कि जो कभी खत्म न हो। डिलेड बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को समाप्त होने में 300 से 1200 साल तक समय लगता है। हमारे द्वारा फैंका गया प्लास्टिक अगली कई पीढ़ियों को मारता रहेगा और  उसके बाद भी नष्ट नहीं होगा। अगर वह नॉन-बायोडिग्रेडेबल  प्लास्टिक है, तो यह हर जगह फैलता जाता है, वह मिट्टी में जाता है, जहां उसके छोटे-छोटे टुकड़े हो जाते हैं। कहीं इसे जलाया गया तो हवा में इसके जहरीले तत्व घुल-मिल जाते हैं। हम कचरे के ढेरों पर लगातर प्लास्टिक जलता हुआ देख सकते हैं। तालाबों, नदियों और समुद्र में यह जाता है, जहां मछलियां इसे खा लेती हैं और प्लास्टिक उनके शरीर में पहुंच जाता है। जब मनुष्य ऐसी मछलियों को खाता है, तो वह प्लास्टिक हमारे शरी​र में पहुंच जाता है। गाय प्लास्टिक खा जाती है, उसके दूध में तो प्लास्टिक नहीं पहुंचता, पर उसके रसायन जरूर दूध में आ जाते हैं। प्लास्टिक की थैलियां गाय निगल जाती हैं ​जिनसे  उनकी मौत भी हो जाती है। हालत यह है कि इंसान से लेकर पशु तक में विष फैल रहा है। 
सिंगल यूज प्लास्टिक इंसानी शरीर के लिए बहुत घातक बन चुका है। इनसे थायरायड की समस्या आती है और यह कैंसर का कारण भी बनता है। महिलाओं को कई तरह की घातक बीमारियां भी लग जाती हैं। किसी भी धार्मिक स्थल या पर्यटन स्थलों पर देखा जाए तो लोग प्लास्टिक की बोतलों को फैंक देते हैं। नदियों में भी लहरों के साथ प्लास्टिक बहता नजर आता है। भारत की बात करें तो सर्वे बताता है कि देश में हर दिन 26000 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है, जिसमें से सिर्फ 60 फीसदी को ही इकट्ठा किया जाता है, बाकी कचरा नदी-नालों में मिल जाता है या पड़ा रहता है। भारत में हर साल 2.4 लाख टन सिंगल यूज प्लास्टिक पैदा होता है और अभी तक हमारे देश में कचरा निपटान की कोई कारगर व्यवस्था नहीं है।
समुद्रों तक सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा फैलाने में गंगा नदी दूसरे नम्बर पर है। दुनिया भर में 2 अरब से अधिक लोगों ने ऐसे ही कचरा फैंक रखा है और प्लास्टिक मिट्टी में जमा होता जाता है। जिससे वर्षा का पानी जमीन में नहीं जा पाता। परिणामस्वरूप भूमि का जलस्तर लगातार गिर रहा है। इंसान को सोचना होगा कि जब प्लास्टिक नहीं था तो क्या जिन्दगी नहीं चलती थी। आज हम घरों से लेकर आफिसों तक फ्लास्क, गिलास, प्लास्टिक की छोटी प्लेटें और चम्मच तक इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ऐसा करके हम विनाश को ही आमंत्रित कर रहे हैं। प्लास्टिक से मुक्ति पाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति होनी चाहिए, लेकिन साथ में लोगों को भी प्लास्टिक छोड़ने का संकल्प होगा, अन्यथा प्लास्टिक मानव जाति का बहुत बड़ा नुक्सान कर देगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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