अहिरका (जींद) : कैथल रोड पर महज आठ किलोमीटर की दूरी पर बसा है गांव अहिरका। गैर-जाट बहुल इस गांव में बैरागी, कुम्हार जाति के अलावा पिछड़ा व अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या खूब है। तीन हजार से अधिक मतदाताओं वाले इस गांव के युवाओं की किस्मत अब बदल रही है। जींद के ग्रामीण आंचल में अहिरका अकेला ऐसा गांव है, जहां लोग किसानी से ज्यादा अपने बच्चों को सरकारी नौकरी के लिए प्रेरित करते हैं।
अब तक रेलवे की नौकरी की ओर रूझान रखने वाले इस गांव के युवाओं को गु्रप डी में नौकरी मिलने से माहौल ही बदलने लगा है। राजनीतिक तौर पर गांव काफी जागरूक है। जींद उपचुनाव को लेकर चल रहे प्रचार से गांव भी अछूता नहीं है। गांव में सत्तारूढ़ भाजपा के अलावा जननायक जनता पार्टी, कांग्रेस, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी व इंडियन नेशनल लोकदल के भी झंडे लगे हुए हैं। खट्टर सरकार का मौजूदा गु्रप-डी की नौकरियों के नाम पर खेला गया ‘मास्टर स्ट्रोक’ गांव में पूरी चर्चाओं का केंद्र है।
गांव में भाजपा की हवा से इंकार नहीं किया जा सकता। आमतौर पर इस उपचुनाव में मतदाता उतना मुखर नहीं है, जितना आमतौर पर जींद का मतदाता रहता है। मगर फिर भी अहिरका गांव के वोटर बोल रहे हैं। गांव के लोग खुलकर भाजपा की तारीफ करते हैं। गांव के अलावा जिले में विकास कार्यों से भी ग्रामीण खुश हैं और नौकरियों में खत्म किए गए इंटरव्यू सिस्टम को वे काफी पसंद कर रहे हैं। एक गंदे से जोहड़ से कुछ कदम दूर ही ताशों की बाजी लगा रहे मांगेराम शर्मा व सत्यनारायण ने कहा, हमारी सबसे बड़ी समस्या तो यह जोहड़ है। गांव में पानी की निकासी का कोई प्रबंध नहीं है।
गंदा पानी यहां इकठ्ठा हो जाता है और इसमें बदबू फैली रहती है। उनका कहना है कि इस जोहड़ से छुटकारा मिल जाए तो गांव के लोग शहर जैसा महसूस करेंगे। मांगेराम शर्मा ने खुलासा किया कि गु्रप-डी के हालिया नतीजों में इस गांव के 17-18 बच्चों का चयन हुआ है। उनका कहना है कि इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। वे इस बात से भी इंकार नहीं कर रहे कि गांव में जननायक जनता पार्टी और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस के नाम के भी वोट हैं। वीरेंद्र सिंह ने कहा, गांव में भाजपा सबसे ऊपर रहेगी। ग्रामीणों ने कहा, उनके पास बहुत अधिक जमीन तो है नहीं। सो, गांव के लोगों का मुख्य काम रोजगार से ही चलता है।
इस गांव के सैकड़ों लोग सरकारी व प्राइवेट सेवाओं में कार्यरत हैं। रामबीर नामक एक ग्रामीण ने कहा, अकेले रेलवे में ही गांव के 170 से अधिक लोग नौकरी करते रहे हैं। इनमें से कुछ भी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसके अलावा केंद्र के साथ-साथ दिल्ली पुलिस, चंडीगढ़ सहित कई अन्य शहरों में भी गांव के युवा नौकरी पर लगे हुए हैं। हरियाणा सरकार में भी गांव के कई युवा कार्यरत हैं। गांव के युवाओं का पढ़ाई के प्रति रुझान भी काफी बढ़ा है। कई क्लास-वन और टू श्रेणी के अधिकारी भी गांव से निकले हैं।