चंडीगढ़ : स्कूलों में अध्यापक है नहीं तो छात्र कहाँ से बढ़ जायेंगे, यह बात मेरी समझ से परे है। हरियाणा सरकार के दावों को चुनौती देते हुए इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की कड़ी आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा कि हरियाणा के स्कूलों में अब बेटियां बिना किसी परेशानी के आ-जा सकती हैं और स्कूलों में केजी कक्षा से सीनियर सेकंडी कक्षा तक बेटियां पढऩे में दिलचस्पी दिखा रही हैं और स्कूलों में ड्रापाउट संख्या दिन-ब-दिन कम हो रही है।
मुख्यमंत्री इस बात का भी श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं कि पिछले पांच वर्षों में स्कूली शिक्षा और उच्चतर शिक्षा में सुधार हुआ है और स्कूलों में बेटियां टैबलेट व डिजिटल एजुकेशन का प्रयोग कर रही हैं जिससे ऑनलाइन शिक्षा में सुधार हुआ है। इनेलो नेता ने कहा है कि दरअसल वास्तविकता यह है कि प्राइमरी सरकारी स्कूलों में लगभग 20 हजार पद अध्यापकों के और सीनियर सेकंडरी स्कूलों में लगभग 15 हजार पद खाली पड़े है।
इसी तरह से हाई स्कूलों में लगभग छह हजार पद खाली पड़े हैं और तीन हजार से अधिक स्कूल बिना मुख्य अध्यापकों के ही चल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में तो शिक्षा की हालत और भी बदत्तर है क्योंकि वहां आधे से ज्यादा स्कूलों में तो अध्यापक ही नहीं हैं। हरियाणा सरकार चुनाव या जनगणना आदि जैसे कार्यों के लिए अध्यापकों की ड्यूटियां लगाती है जिससे बच्चों की बढ़ाई पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
इनेलो नेता ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में प्रदेश में लगभग 300 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं जिसकी वजह से ग्रामीण आंचल के बच्चों के लिए शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। सरकार का ये दावा भी झूठ का पुलिंदा है कि स्कूलों में लडक़े और लड़कियों के लिए अलग से शौचालय बनाए गए हैं जबकि असलियत में स्कूलों में जाकर देखा जाए तो बेटियों के लिए शौचालयों की कमी के कारण कई बार उनको बाहर जाना पड़ता है जिसकी वजह से उनके साथ शोषण जैसी घटनाएं घटती हैं।