भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जासूसी केस में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सहित चार व्यक्तियों को अग्रिम जमानत देने के केरल हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। जासूसी मामले वैज्ञानिक नंबी नारायणन को कथित रूप से फंसाने की कोशिश की गई थी।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने शुक्रवार को मामले को हाई कोर्ट को वापस भेज दिया और उसे इस मुद्दे पर चार सप्ताह के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, ‘‘ये सभी अपीलें स्वीकार की जाती हैं। हाई कोर्ट द्वारा पारित अग्रिम जमानत देने के आदेश को रद्द किया जाता है। सभी मामलों को हाई कोर्ट को वापस भेजा जाता है ताकि वह उनके गुणदोष के आधार पर नए सिरे से फैसला कर सके। इस कोर्ट ने किसी भी पक्ष के लिए गुणदोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

पीठ ने कहा, ‘‘अंतत: हाई कोर्ट को आदेश पारित करना है। हम हाई कोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वह इस आदेश की तारीख से चार सप्ताह के भीतर अग्रिम जमानत याचिकाओं पर जल्द से जल्द फैसला करे।’’ सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को आज से एक सप्ताह के भीतर संबंधित पीठ के समक्ष जमानत याचिकाओं को अधिसूचित करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘तब तक एक अंतरिम व्यवस्था के तहत और अधिकारों के प्रति पूर्वाग्रह के बिना, यह निर्देश दिया जाता है कि पांच सप्ताह की अवधि के लिए और जब तक कि हाई कोर्ट द्वारा जमानत अर्जियों पर हिरासत के संबंध में अंतिम फैसला नहीं किया जाता, प्रतिवादियों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है जो कि जांच में सहयोग के अधीन होगा।’’
यह फैसला गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर बी श्रीकुमार, केरल के दो पूर्व पुलिस अधिकारियों एस विजयन और टी. एस. दुर्गा दत्त और एक सेवानिवृत्त खुफिया अधिकारी पी एस जयप्रकाश को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अपील पर आया।