केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक साल से जारी किसान आंदोलन की आज जीत हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान कर दिया। इसके साथ ही आंदोलनकारी किसान समुदाय में जश्न की लहर दौड़ गई है। सम्पूर्ण विपक्ष केंद्र के इस बैकफुट को किसानों की जीत बता रहा है।
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में घोषणा करते हुए कहा, “पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है। देश के छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी सरकार द्वारा उठाए कदमों को रेखांकित किया।”
सरकार कृषि कानून के फायदों को समझाने में नाकाम रही
पीएम मोदी ने कहा कि कृषि बजट में पांच गुना बढ़ोतरी की गई है, हर साल 1.25 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की जा रही है। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार तीन नए कृषि कानून के फायदों को किसानों के एक वर्ग को तमाम प्रयासों के बावजूद समझाने में नाकाम रही। उन्होंने कहा कि इन तीनों कृषि कानूनों का लक्ष्य किसानों विशेषकर छोटे किसानों का सशक्तीकरण था।
संसद के आगामी सत्र में निरस्त किए जाएंगे कृषि कानून
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि इन तीनों कानूनों को निरस्त किया जाएगा और इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा। मैं सभी आंदोलन किसान साथियों से आग्रह कर रहा हूं कि अब आप अपने-अपने घर और खेतों की तरफ लौटें। आपदा के समय ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को आसानी से मुआवज़ा मिल सकें इसके लिए पूराने नियम बदले गए। बीते 4 सालों में एक लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा का मुआवज़ा हमारे किसानों को मिला है।
उन्होंने कहा, देश के छोटे किसानों की चुनौतियों को दूर करने के लिए, हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत, इन सभी पर चौतरफा काम किया। सरकार ने अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ ही किसानों को नीम कोटेड यूरिया, सॉयल हेल्थ कार्ड, माइक्रो इरिगेशन जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा।
बता दें कि मोदी सरकार पिछले साल कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लाई थी। लेकिन कई किसान संगठन इन कानूनों का लगातार विरोध कर रहे थे। 26 नवंबर को दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन को एक वर्ष पूरा होने वाला था।किसान संगठनों के इस आंदोलन को कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों का पूर्ण रूप से समर्थन मिल रहा था।