संसद में आज खास दिन है। लोकसभा अध्यक्ष ने सभी से कहा कि यह इस भवन में बैठकों का आखिरी दिन है। अब से हमारी बैठकें नये भवन में होंगी। अध्यक्ष चाहते हैं कि हम नई इमारत के बारे में उत्साहित और आशान्वित रहें और हम वहां क्या कर सकते हैं। बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि नए भवन में भारत का लोकतंत्र नई ऊंचाईयां प्राप्त करेगा। सदन को सम्बोधित करते हुए बिरला ने कहा कि संसद भवन स्वतंत्रता प्राप्ति की ऐतिहासिक घड़ी से लेकर भारत के संविधान निर्माण की सम्पूर्ण प्रक्रिया और इसके साथ आधुनिक राष्ट्र की गौरवशाली लोकतान्त्रिक यात्रा का साक्षी रहा है।
उच्चतम परंपराओं की नींव रखी
स्वतंत्र भारत की प्रथम लोकसभा के अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर को याद करते हुए बिरला ने कहा कि देश की सर्वोच्च लोकतान्त्रिक संस्था के प्रथम अध्यक्ष के रूप में उन्होंने नियम समिति, विशेषाधिकार समिति, कार्य मंत्रणा समिति सहित कई अन्य संसदीय समितियों की स्थापना की और सदन के अंदर उच्चतम परंपराओं की नींव रखी। पूर्व लोकसभा अध्यक्षों के उल्लेखनीय योगदान को याद करते हुए बिरला ने कहा कि उनके पूर्व के 16 अध्यक्षों ने संसद की श्रेष्ठ परम्पराएं स्थापित की।
प्रतिबद्धता से उनका सामना किया
सदन को संवाद संस्कृति का जीवंत प्रतीक बताते हुए लोकसभा स्पीकर ने कहा कि विभिन्न दलों के बीच सहमति-असहमति के बीच पिछले 75 वर्षों में देशहित में सामूहिकता से निर्णय लिए गए तथा संसदीय विचार-विमर्श की पद्धति से देश की जनता के जीवन में सामाजिक आर्थिक बदलाव के लिए कानून बनाए गए। उन्होंने गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि आपदा और संकट के समय में भी सदन ने एकजुटता और प्रतिबद्धता से उनका सामना किया है।