वार्षिक गंगा बंदीः सफाई केवल कागजों में सिमटी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

वार्षिक गंगा बंदीः सफाई केवल कागजों में सिमटी

वार्षिक बंदी के दौरान पांच और छह अक्तूबर की मध्य रात्रि को बंद की गई ऊपरी खंड गंगनहर को रविवार शाम को खोल तो दिया गया, परन्तु इस बार गंगा सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की गयी।

हरिद्वार, संजय चौहान (पंजाब केसरी)ः वार्षिक बंदी के दौरान पांच और छह अक्तूबर की मध्य रात्रि को बंद की गई ऊपरी खंड गंगनहर को रविवार शाम को खोल तो दिया गया, परन्तु इस बार गंगा सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की गयी। धरातल पर सच्चाई देखने के बाद यहां यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि सिर्फ कागजों में ही गंगा सफाई की गयी है, जिसके चलते कई सवाल खड़े हो गये हैं।
दिवाली पर हरकी पैड़ी पर जल आने से श्रद्धालु खुश तो हैं, परन्तु भारी गंदगी देखकर उनका मन विचलित हो उठा है। वार्षिक बंदी के दौरान केवल कागजों में ही गंगनहर में सफाई और मरम्मत के कार्य पूर्ण किए गए। प्रत्येक वर्ष उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग गंगनहर को दशहरे के दिन बंद करता हैं। इस दौरान नहर में रंग रोगन, पुलों की मरम्मत, सिल्ट की सफाई, सिंचाई के लिए बने नालों की मरम्मत आदि कार्य किए जाते हैं।
बता दें‌ कि दशहरे से दीपावली तक गंगा बंदी, लेकिन गंगा कि किसी भी घाट की सफाई आज तक नहीं हुई है। हरिद्वार में गंगा सफाई को लेकर हर वर्ष दशहरे से दीपावली तक गंगा को बंद किया जाता है जिससे घाटों पर लगी हुई जंजीरे रेलिंग एंग्लो एवं जाल में फंसे कूड़े को निकाला जा सके, गंगा के स्नान घाटों को समतल किया जा सके इसी तरह की सफाई व्यवस्था के लिए सरकार करोड़ों का बजट बनाती हैं, लेकिन इस बार गंगा तो सुखाई गई परन्तु ना तो घाटों की मरम्मत की गई और ना ही जंजीरों में फंसे कूड़े को निकाला गया। इतना ही नहीं टूटी एंगल एवं पाइपों को सही तक नहीं किया गया अगर घाट मरम्मत का यह कार्य नहीं किया जाना था तो क्यों गंगा को सुखाया गया यह गंगा सफाई के लिए बजट पास हुआ तो वह कहां गया है ? अगर गंगा सफाई के लिए बजट नहीं पास हुआ तो क्यों नहीं हुआ ? और क्यों गंगा को सुखाया गया।
 स्नान के लिए आने वाले तीर्थयात्री टूटे पड़े एंग्लो वह टूटी जंजीरों की वजह से स्नान करने वाले श्रद्धालु लगातार चोटिल हुए, लेकिन उसके बावजूद भी दशहरे से दीपावली तक गंगा की बंदी के दौरान भी जिला प्रशासन ने कोई कार्य नहीं कराया, जबकि यह तीर्थ नगरी में गंगा सूखने के उपरांत लोगों के चेहरे मायूस हो जाते हैं लेकिन गंगा बंदी के दौरान गंगा घाटों की सफाई समतलता एवं टूट-फूट को सही किया जाता है। इस बार कोई कार्य न होने की वजह से स्थानीय लोगों में खासा रोष है।
यहां बता दें कि गंगनहर को मायापुर बैराज से बंद किया जाता है। गंगनहर बंद होने के बाद हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं के लिए गंगा जल कम रहता है। अब गंगनहर दोबारा खोले जाने के बाद हरकी पैड़ी और आसपास के क्षेत्र में जल की मात्रा बढ़ गई। गंगा पूजन, गंगा स्नान, अनुष्ठान, तर्पण, विसर्जन, कर्मकांड आदि कार्यों के लिए हरिद्वार पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए हरकी पैड़ी पर जल उपलब्ध रहा, हालांकि साफ-सफाई के लिए गंगनहर को बंद किया गया था। इस दौरान हरकी पैड़ी पर 50 क्यूसेक जल की मात्रा उपलब्ध रही, परन्तु बिना सफाई के ही रविवार को गंगनहर में जल छोड़ा गया है।
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हरिद्वार में गंगा बंदी के बाद घाटों पर जस की तस पड़ी हुई भारी गंदगी उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की पोल खोलती हुई। (छायाः पंजाब केसरी)

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