कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। इसका जीता जागता उदाहरण गोवा में देखने को मिला। कांग्रेस इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। दरअसल, गोवा में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस को लेकर गोवा में ये कहा जा रहा है कि कोई अगर कांग्रेस को वोट देता है तो उसका वोट बीजेपी को जाएगा। हाल के दिनों में दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इसी तरह की टिप्पणी करते हुए कहा था कि कांग्रेस को वोट देना बीजेपी को वोट देने जैसा है।
इस बीच गोवा कांग्रेस ने अपने 36 उम्मीदवारों को पार्टी ना छोड़ने की शपथ दिलाई गई। इन सभी उम्मीदवारों को बीती 22 जनवरी अलग-अलग धार्मिक स्थल ले जाया गया। महालक्ष्मी मंदिर, बम्बोलिम क्रॉस चर्च और बेटिन मस्जिद में शपथ दिलाई गई। प्रत्याशियों ने शपथ ली कि चुनाव जीतने के बाद वो पार्टी नहीं छोड़ेंगे।
बता दें कि कांग्रेस ने ये कदम 2017 के चुनावी नतीजों के बाद हुए घटनाक्रम को देखते हुए उठाया है। ज्ञात हो कि कांग्रेस के टिकट पर 2017 का विधानसभा चुनाव जीतने वाले 17 में से 15 विधायकों के पार्टी छोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया था और सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद भी सरकार नहीं बना पाई थी।
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने दिलाई शपथ
गोवा कांग्रेस के आधिकारिक हैंडल ने #PledgeOfLoyalty हैश टैग के साथ ट्वीट करते हुए लिखा, “गोवा भर से कांग्रेस उम्मीदवार महालक्ष्मी मंदिर, बम्बोलिम क्रॉस और हमजा शाह दरगाह गए और गोवा और पार्टी के लोगों के प्रति वफादारी का संकल्प लिया।” इस दौरान गोवा कांग्रेस के वरिष्ठ चुनाव पर्यवेक्षक व पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम भी महालक्ष्मी मंदिर में मौजूद थे। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत भी शपथ लेने वालों में से थे
हम चुनाव के बाद पार्टी नहीं छोड़ेंगे’
इस दौरान पूर्व बंदरगाह मंत्री माइकल लोबो ने कहा, “यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। हम मंदिर, चर्च और दरगाह में शपथ लेने जा रहे हैं कि हम चुनाव के बाद पार्टी नहीं छोड़ेंगे।” गौरतलब है कि माइकल लोबो ने भाजपा छोड़ दी और अब कलंगुट सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। गोवा में विधानसभा चुनाव 14 फरवरी को होंगे। मतगणना 10 मार्च को होगी।
अपने उम्मीदवारों को क्यों शपथ दिला रही कांग्रेस?
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गोवा में कम से कम 24 विधायक, जो कि 40 सदस्यीय राज्य विधानसभा की कुल संख्या का 60 प्रतिशत है, ने पिछले पांच वर्षों में पार्टियां बदली हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके साथ गोवा ने एक अनूठा रिकॉर्ड बनाया है, जो भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में “अद्वितीय” है।
रिपोर्ट “मौजूदा विधानसभा (2017-2022) के पांच साल के कार्यकाल में, 24 विधायकों ने अपनी पार्टियों को बदल दिया, जो सदन की कुल ताकत का 60 प्रतिशत है। यह भारत में कहीं और कभी नहीं हुआ है। ये मतदाताओं के जनादेश के प्रति अनादर दिखाता है। नैतिकता और अनुशासन के प्रति एक कठोर दृष्टिकोण अनियंत्रित लालच द्वारा अपने सबसे बुरे रूप में हावी है।”