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झारखंड में बड़ा संकट, कोयले की नहीं है कमी, लेकिन बिजली खरीदने के पैसे भी नहीं

जिस झारखंड के कोयले की बदौलत देश भर के पावर प्लांटों में उत्पादन है। उस झारखंड में बिजली का बड़ा संकट खड़ा हो गया है।

जिस झारखंड के कोयले की बदौलत देश भर के पावर प्लांटों में उत्पादन है। उस झारखंड में बिजली का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। राज्य में कोयला पर आधारित एकमात्र बिजली उत्पादक संयंत्र तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड (टीवीएनएल) से बमुश्किल राज्य की कुल बिजली जरूरतों का 15 से 20 फीसदी ही उत्पादन हो पाता है।
रांची के सिकिदिरी में एक हाईडल पावर प्रोजेक्ट भी है, लेकिन यह इन दिनों पूरी तरह ठप है। ऐसे में झारखंड अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए 85 फीसदी बिजली सेंट्रल पूल और डीवीसी, आधुनिक पावर, इनलैंड पावर जैसी कंपनियों से खरीदता है।
 500 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता की मांग 
अब मुश्किल यह है कि राज्य में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी जेबीवीएनएल (झारखंड बिजली वितरण निगम लि.) के पास डिमांड के अनुसार बिजली खरीदने को पैसे नहीं हैं। निगम ने इस संकट से उबरने के लिए राज्य सरकार को त्राहिमाम संदेश भेजकर 500 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता की मांग की है।
आलम यह है कि राज्य के सभी इलाकों में पिछले एक हफ्ते से जबर्दस्त बिजली कटौती हो रही है। रांची, जमशेदपुर, धनबाद, हजारीबाग, डालटनगंज, गिरिडीह, बोकारो सहित ज्यादातर शहरों में छह से सात घंटे की कटौती की जा रही है। ग्रामीण इलाकों में तो बमुश्किल 10-12 घंटे बिजली सप्लाई हो रही है।
बिजली उत्पादक कंपनियों का बड़ा बकाएदार
जेबीवीएनएल को हर महीने बिजली खरीदारी पर तकरीबन पांच सौ करोड़ रुपए की जरूरत होती है, लेकिन इसके एवज में वह राज्य के उपभोक्ताओं से लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए ही वसूल पाता है। अक्टूबर महीने में तो मात्र 305 करोड़ रुपए के राजस्व की वसूली हो पाई। इसके पहले सितंबर में 357 करोड़ रुपए की वसूली हुई थी। 
राजस्व की कम वसूली के चलते बिजली वितरण निगम सेंट्रल पूल और अन्य बिजली उत्पादक कंपनियों का बड़ा बकाएदार हो गया है। सेंट्रल पूल का लगभग 200 करोड़ रुपए बकाया होने के चलते बीते 15 अक्तूबर से ही लगातार झारखंड द्वारा अतिरिक्त बिजली खरीदे जाने पर पाबंदी लागू कर दी गई है। इसी तरह आधुनिक पावर से मिलने वाली 180 मेगावाट बिजली भी बकाया रकम के चलते रोक दी गई है। 
हिसाब से लगभग पांच सौ मेगावाट का शॉर्टेज
झारखंड के छह-सात जिलों में डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) के जरिए बिजली पहुंचती है। झारखंड पर डीवीसी का लगभग तीन हजार करोड़ रूपए का बकाया है। इस वजह से इन जिलों में 10 प्रतिशत कटौती का आदेश दिया गया है। इन दिनों राज्य में सुबह-शाम बिजली की मांग 1700 से 1800 मेगावाट है, लेकिन कुल आपूर्ति लगभग 1300 से 1400 मेगावाट ही हो पा रही है। 
टीवीएनएल से 360 मेगावाट, एनटीपीसी से 500 मेगावाट, इनलैंड से 50 मेगावाट व अन्य स्रोतों से 500 मेगावाट बिजली मिल रही है। जरूरतों के हिसाब से लगभग पांच सौ मेगावाट का शॉर्टेज चल रहा है।

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