धनबाद कोयला क्षेत्र में कई बार तेज आवाजें और विस्फोट हुए हैं। लोगों के घर और इमारतें जमीनदोज हो रही हैं। रविवार को धनबाद के केंदुआ गोनूडीह ओपी क्षेत्र के धोबी कुली बस्ती में फटी धरती में तीन महिलाएं एक साथ दफन हो गईं। दरअसल, पिछले डेढ़ सौ साल से कोयले के अंधाधुंध खनन के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। 14 अगस्त को धनबाद के जोगता थाना क्षेत्र की 11 नंबर बस्ती में तेज आवाज के साथ जमीन में बड़ी दरार पड़ने से एक परिवार के तीन लोग जमीन के भीतर समा गए। स्थानीय लोगों ने बड़ी मुश्किल से तीनों को बाहर निकाला। हॉस्पिटल में लंबे इलाज के बाद उनकी जान तो बच गई, लेकिन शरीर पर अब भी जख्म के कई निशान हैं। बीते 11 सितंबर को गोविंदपुर एरिया की आकाश किनारी बस्ती में भू-धंसान की एक बड़ी घटना में सात मकान जमींदोज हो गए, जबकि एक दर्जन से ज्यादा मकानों में दरारें पड़ गई हैं। गनीमत यह रही कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ।
बहुत मुश्किल से बचाई जा सकी
बीते साल धनबाद जिले के निरसा में ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (इसीएल) के मुगमा क्षेत्र में भू-धंसान की बड़ी घटना हुई थी। यहां लगभग 200 मीटर के दायरे में जमीन पांच फीट धंस गई थी। जुलाई 2021 में केंदुआडीह में अचानक जमीन धंसने से उमेश पासवान नामक एक युवक अंदर समा गया था। बाद में उसे बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला जा सका था। 18 फरवरी 2021 को झरिया के बीसीसीएल लोदना क्षेत्र अंतर्गत घनुडीह मोहरी बांध के 10 वर्षीय बच्चा खेलने के दौरान गोफ में समा गया था। उसकी जान भी बहुत मुश्किल से बचाई जा सकी थी।
इन्हें बाहर नहीं निकाला जा सका था
वर्ष 2017 में तो झरिया के फुलारीबाग में जमीन फटने से बबलू खान नामक एक शख्स और उनका आठ वर्षीय पुत्र रहीम जमीन के अंदर समा गए थे। इन्हें बाहर नहीं निकाला जा सका था। धनबाद जिले के कोयला खनन क्षेत्रों में 100 साल से अधिक समय से भूमिगत आग लगी हुई है। इस कारण अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में अचानक धरती फटती रहती है। इससे गोफ या खाई बनती है। कोयले की खदानें आग की लौ से धधक रही हैं। एक तरफ आग की लपटें आसमान को छूने को बेताब हैं तो दूसरी तरफ जलते कोयले के धुएं ने एक बड़े इलाके को अपने आगोश में ले रखा है।