कांग्रेस के पूर्व नेता हार्दिक पटेल 2 जून यानी गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने जा रहे हैं। उन्होंने एक न्यूज़ एजेंसी से बातचीत में इस बात की पुष्टि की। हार्दिक पटेल ने गत 18 मई को कांग्रेस के शीर्ष और प्रदेश नेतृत्व पर तीखा प्रहार करते हुए दल की प्राथमिक सदयस्ता से इस्तीफा दे दिया था।
वहीं बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, हार्दिक पटेल के दो जून को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय राजधानी गांधीनगर के निकट कोबा स्थित श्रीकमलम में आधिकारिक रूप से दल में शामिल हो जाने की पूरी सम्भावना है। सूत्रों ने बताया कि वह मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल की उपस्थिति में भगवा धारण कर सकते हैं।
2015 में चर्चा में आए हार्दिक
गौरतलब है कि वर्ष 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से चर्चा में आए 28 वर्षीय हार्दिक ने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2019 में विधिवत कांग्रेस का दामन थामा था और जुलाई 2020 में उन्हें राज्य के मुख्य विपक्षी दल का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया था।
इस्तीफे में कांग्रेस के लिए तल्ख़ भाषा
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में हार्दिक पटेल ने जिस तरह की तल्ख़ भाषा का इस्तेमाल किया था और राम मंदिर तथा धारा 370 को कश्मीर से हटाने जैसे मुद्दों की हिमायत की थी उससे उनके जल्द ही सत्तारूढ़ बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गयी थीं।
उन्होंने अपने इस्तीफे को अपने सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया था। उन्होंने खुद को सबसे बड़ा रामभक्त बताया था और अयोध्या राम मंदिर के लिए स्वयं चंदा देने की बात भी कही थी। हार्दिक ने अपने इस्तीफे में आरोप लगाया था कि कांग्रेस केवल केवल विरोध की राजनीति करती है। इसने राम मंदिर, धारा 370 हटाने और जीएसटी जैसे जरुरी मुद्दों का यूं ही विरोध किया।
इसके पास विकास की वैकल्पिक राजनीति का अभाव है। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी परोक्ष प्रहार करते हुए लिखा कि नेतृत्व गुजरात और देश के मुद्दों के प्रति गम्भीर नहीं है। मुलाकात के दौरान पार्टी के नेता इन मुद्दों की बजाय मोबाइल फोन देखने में अधिक रुचि लेते हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि गुजरात में पार्टी के बड़े नेता अपने निजी फायदे के लिए बिक गए हैं। वे राज्य की संस्कृति और जनता का अपमान कर शीर्ष नेताओं को चिकन सैंडविच पहुंचाने में अधिक रुचि लेते हैं।
गुजरात में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। अटकलें ऐसी भी थीं कि राजनीतिक रूप से महत्वाकांक्षी हार्दिक पहले आम आदमी पार्टी में शामिल होना चाहते थे। राज्य के दबंग पटेल अथवा पाटीदार समुदाय के हिंसक आरक्षण आंदोलन के दौरान उन्हें राजद्रोह के दो चर्चित मुकदमो में लम्बे समय तक जेल में भी रहना पड़ा था।
उनके आंदोलन के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को पद से हटना भी पड़ा था। वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इसी आंदोलन के प्रभाव से बीजेपी का प्रदर्शन काफी खराब रहा और वह किसी तरह सत्ता में वापसी कर सकी थी। हालांकि बाद में हार्दिक का प्रभाव पटेल समुदाय पर खासा कमजोर हो गया था। कुछ माह पहले जब आम आदमी पार्टी ने राज्य में अपना संगठन विस्तार शुरू किया था तो ऐसी अटकलें तेज थीं कि वह इसमें शामिल हो सकते हैं।
जिग्नेश मेवाणी पड़ेंगे अकेले
मजेदार बात है पिछले चुनाव में बीजेपी का जबरदस्त विरोध करने वाली तिकड़ी में से एक पूर्व कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर पहले ही इस दल में शामिल हो चुके हैं। हार्दिक के बीजेपी में शामिल होने के बाद इस तिकड़ी में से एक मात्र नेता वडगाम के कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ही केसरिया दल के विरोधी रह जायेंगे।