साल 2015-16 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन का चेहरा रहे बीजेपी नेता हार्दिक पटेल को पार्टी ने वीरमगाम विधानसभा सीट से उम्मीदवार मनाया। कभी बीजेपी के मुखर आलोचक रहे पटेल अब कांग्रेस पर आरोपों के तीर छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर समय गुजरातियों का अपमान करने वाली और राज्य के गौरव पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस को गुजरात की जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी।
हार्दिक पटेल ने कहा, मैं बीजेपी द्वारा मुझे दी गई जिम्मेदारी को कंधे से कंधा मिलाकर पूरा करूंगा। मेरी कोशिश सभी को साथ लेकर वीरमगाम से जीतने की होगी। मुझे विश्वास है कि वीरमगाम के लोग बीजेपी उम्मीदवार को जीत दिलाएंगे।
वीरमगाम निर्वाचन क्षेत्र से बोलते हुए उन्होंने कहा, मैंने हमेशा मुश्किल राह पकड़कर सफलता हासिल की है। कांग्रेस भले ही इस सीट पर 10 साल से रही हो, लेकिन यह मेरी ‘जन्मभूमि’, ‘कर्मभूमि’ और ‘मातृभूमि’ है। लोग मुझे स्वीकार करना चाहेंगे।
PM मोदी की नीतियों को लागू करने के लिए काम करूंगा
पटेल ने आगे कहा, हमने पिछले 5 महीनों में जिस तरह यहां के लोगों के लिए सामाजिक कार्यों के जरिए काम किया है, उन्हें लगता है कि मैं युवा हूं और उनके लिए काम करूंगा। मैं विकास के 10 साल के सूखे को हरियाली में बदलने और पीएम मोदी की नीतियों को लागू करने के लिए काम करूंगा।
उन्होंने आगे कहा, गुजरात के लोग कांग्रेस की बात नहीं सुनना चाहते। मैं कभी कांग्रेस में था, मैं यह जानता हूं। हर समय गुजरातियों का अपमान करने वाली और राज्य के गौरव पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस को गुजरात की जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी।
कब और कैसे चर्चा में आए हार्दिक?
गुजरात हमेशा से आंदोलनों की धरती रहा है। महाराष्ट्र से गुजरात को अलग करने वाला आंदोलन, छात्र आंदोलन, आरक्षण आंदोलन 2015 में पाटीदार आंदोलन का आगाज हुआ इस आंदोलन का मकसद पाटीदारों को आरक्षण दिलाना था। आंदोलन के दौरान अहमदाबाद के जीएमडीसी ग्राउंड में एक सभा आयोजित हुई जिसमें 5 लाख लोग शामिल हुए जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था।
इसी आंदोलन से हार्दिक पटेल नाम के युवा नेता का उदय हुआ जिसने इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। और आज वही नेता खुब चर्चा में बना हुआ है। इस आंदोलन के दौरान 14 लोगों की मौत हुई थी और यहीं से हार्दिक को राजनीति में मजबूती मिली। जाति के लिए शुरू हुआ सामाजिक आंदोलन धीमे-धीमे राजनैतिक आंदोलन में बदल गया। इसी आंदोलन के चलते मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी और विजय रूपानी को गुजरात की गद्दी पर बैठा दिया गया।
जिसके बाद हार्दिक पटेल सरकार को घेरने के लिए विपक्ष का हथियार बन गए और कांग्रेस के करीब होते गए. कांग्रेस ने हार्दिक को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया इसके बाद 2017 के चुनाव परिणामों पर हार्दिक का साया नजर आया, राज्य में बीजेपी ने सरकार तो बनाई मगर सीटें कम हो गई।
इसके बाद हार्दिक को कांग्रेस पार्टी में के हाशिए पर आते गए। इसकी सबसे बड़ी वजह थी की पार्टी के सीनियर नेताओं को हार्दिक रास नहीं आ रहे थे। तो दूसरी तरफ पाटीदार आंदोलन के दौरान राज्य में अलग-अलग हिस्सों में हार्दिक पर दर्ज हुए मामले हार्दिक के गले की फांस बनते जा रहे थे जिसके चलते हार्दिक पटेल सत्ताधारी बीजेपी के करीब आने लगे और 2022 में जब राज्य में चुनाव की आहट सुनाई पड़ी तो हार्दिक वजप में शामिल हो गए।