पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी समलैंगिक विवाह के पक्ष में उतरे हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि प्यार की कोई सीमा नहीं है। बता दें कि समलैंगिक विवाह के मामले में फिलहाल सर्वोच्च नयायालय में मामला चल रहा है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पार्टी करने के लिए कहा गया है। केंद्र ने भी गुरुवार को सभी राज्यों को पत्र भेजकर उनकी राय मांगी है।
अभिषेक बनर्जी ने समलैंगिक विवाह का समर्थन किया
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इस बीच, तृणमूल के दूसरे नंबर के नेता अभिषेक बनर्जी ने कोलकाता के तृणमूल भवन में एक संवाददाता सम्मेलन में इस पर टिप्पणी की। एक पत्रकार के सवाल के जवाब में अभिषेक बनर्जी ने समलैंगिक विवाह का समर्थन किया। अभिषेक बनर्जी ने कहा, ” यह मामला फिलहाल विचाराधीन है। मुझे इसके बारे में बात नहीं करनी चाहिए, लेकिन मैं कहूंगा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। जीवन साथी चुनने का अधिकार सभी को है। और प्रेम की कोई सीमा नहीं है, कोई सीमा नहीं है, कोई धर्म नहीं है। हर कोई हर किसी से प्रेम कर सकता है। यह मेरी निजी राय है।”
बता दें कि इस देश में यह प्रथा है कि विवाह केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच होता है। हालांकि, अगर कोई पुरुष किसी दूसरे पुरुष से प्यार करता है और इस पारंपरिक रिश्ते से हटकर शादी करना चाहता है, या कोई महिला किसी दूसरी महिला के साथ जीवन भर रहना चाहती है, तो इसमें कोई बाधा क्यों हो, कई मामले सामने आ चुके हैं।
ममता बनर्जी ने समलैंगिक विवाह के बारे में बात करने से किया था इनकार

कुछ दिन पहले राज्य की सीएम ममता बनर्जी ने भी समलैंगिक विवाह के संबंध में पूछा गया था, लेकिन उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि यह मामला काफी संवेदनशील है और मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है। इस कारण वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगी, लेकिन इस राज्य के सांसद और तृणमूल कांग्रेस के नंबर टू नेता अभिषेक बनर्जी की इस संबंध में टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण है।
मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी
बता दें कि समलैंगिग रिश्ते को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी गई है। मामले की सुनवाई पांच जजों की खंडपीठ कर रही है। केंद्र सरकार ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए इसका विरोध किया है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने इस संबंध में समर्थन करते हुए अपनी राय रखी है। वहीं केंद्र सरकार ने इसका विरोध किया है और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश से इस संबंध में राय मांगी है।