राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जनजाति समाज को शिक्षा पर विशेष ध्यान देने चाहिए। उन्होंने कहा कि बुक्सा समाज शिक्षा, सामाजिक व आर्थिक समेत सभी क्षेत्रों में पीछे है जबकि सरकार चाहती है कि वे भी कदम से कदम मिलाकर चलें। उत्तर प्रदेश प्रवास के दूसरे दिन सोमवार को राष्ट्रपति ने बुक्सा जनजाति के लोगों को वनाधिकार पत्र वितरित किए है। इस अवसर पर उन्होने कहा कि मुसहर जनजाति के लोग जंगलों में रहते हैं। उनकी खुद की जमीन न होने से वे प्रधानमंत्री आवास योजना से नहीं जुड़ पाते है, उन्होंने समाज के लोगों को नसीहत दी कि सीखना बहुत जरूरी है। बेटा हो या बेटी, दोनों को पढ़ना चाहिए।
जनजाति समुदायों के लिए नए खोले जाएगे स्कूल
उन्होने कहा जिंदगी जीने के लिए घर जरूरी है। आपमें से कोई पंचायत मुखिया बन गया, कोई समिति सदस्य, हर क्षेत्र में बच्चियां बढ़ रही हैं। यह शुरुआत है, जनजातीय भी जरूर आगे बढ़गे। सिर्फ सरकार से ही सहारा न लें, बल्कि आगे बढ़ने का जुनून होना चाहिए। मानसिकता मजबूत होनी चाहिए। मनोबल को सशक्त करना चाहिए। बेटा-बेटी दोनों को पढ़ाना जरुरी है, सरकार से बात करूंगी कि जरूरत पर नजदीक स्कूल खोले जाएं। श्रीमती मुर्मू ने कहा अभी एकलव्य विद्यालय खोले गए हैं।
जनजाति बच्चों को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बढ़ाया मनोबल
बच्चों को भी कंप्टीशन में भाग लेना चाहिए। यह सोच आनी चाहिए कि दूसरे समुदाय के बच्चों के साथ आपके बच्चे भी आगे आ पाएं। आपको भी उस रास्ते पर दौड़ना चाहिए। हम जनजातिय हैं, पीछे नहीं रहेंगे, हम भी सशक्त होंगे, हम भी कुछ बनेंगे। यह सोच होनी चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा आपको अपना पारंपरिक कार्य (खेती-बाड़, पशुपालन) भी करते रहना चाहिए। आर्थिक उन्नति के लिए सरकार सहयोग देती है। बेहतर के लिए हमें प्रयास करना चाहिए और प्रयास करने से ही आगे बढ़ सकते हैं। आपका भविष्य उज्ज्वल होगा, आपको भी कदम से कदम और कंधे से कंधे मिलाकर बढ़ना चाहिए।
बुक्सा जाति पर बनी डॉक्यूमेंट्री
सरकार प्रयास कर रही है पर आपको भी प्रयास जारी रखना चाहिए। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने जनजातीय समूहों द्वारा संचालित समूहों की ओर से निर्मित स्मृति चिह्न राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दिया। कार्यक्रम में निदेशलाय, जनजातीय विकास विभाग की तरफ से बुक्सा जाति पर डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई।