हल्द्वानी अतिक्रमण पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई, सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोग - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

हल्द्वानी अतिक्रमण पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई, सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोग

उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके के हजारों निवासियों की ओर से हाईकोर्ट के आदेश पर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के खिलाफ प्रदर्शन जारी है

उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके के हजारों निवासियों की ओर से हाईकोर्ट के आदेश पर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के खिलाफ प्रदर्शन जारी है, तो वहीं प्रशासन भी भारी सुरक्षा बल के बीच अपनी कार्रवाई करने को तैयार है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर आज गुरुवार को सुनवाई करेगा।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती
देश की सबसे बड़ी अदालत आज हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने जा रहा है। रेलवे के मुताबिक उसकी भूमि पर 4,365 लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई। चंद्रचूड़, जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण की ओर से मामले का जिक्र किए जाने के बाद इसे सुनवाई के लिए स्वीकार किया। 
रेलवे एक्ट 1991 के तहत रेलवे की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। रेलवे की ओर से कहा गया कि अपने रेलवे अधिनियम 1991 के तहत अतिक्रमण हटाता है। क्षेत्रीय प्रशासन की ओर से भी कई बार कोई सार्वजनिक संपत्ति स्थापित की जाती है तो ऐसे में रेलवे स्पेशल एक्ट के तहत उसे हटाने का अधिकारी होता है।रेलवे ने कहा कि रेलवे की जमीन पर कई बार राज्य सरकार कब्जा करने की कोशिश करती है, यह उसी का नतीजा है कि लोगों से टैक्स वसूला जाने लगा।
सुनवाई से पहले लोग कर रहे दुआ
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले प्रभावित लोग बड़ी संख्या में दुआ कर रहे हैं। दूसरी ओर, पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी भी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर अपनी नजर बनाए हुए हैं।
हमारे पास वैध दस्तावेजः स्थानीय निवासी
दूसरी ओर, स्थानीय निवासियों की ओर से याचिका में दलील दी गई है कि हाईकोर्ट ने विवादित आदेश पारित करने में गंभीर त्रुटि की है क्योंकि भूमि के अधिकार को लेकर याचिकाकर्ताओं और निवासियों की याचिकाएं जिलाधिकारी के समक्ष लंबित है। याचिका में कहा गया है, “हाईकोर्ट ने रेलवे अधिकारियों द्वारा सात अप्रैल, 2021 की कथित सीमांकन रिपोर्ट पर विचार नहीं करने की गंभीर त्रुटि की है।”
नगर निगम के रिकॉर्ड में गृह कर रजिस्टर में दर्ज
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उनके पास वैध दस्तावेज हैं जो स्पष्ट रूप से उनके वैध अधिकार को स्थापित करते हैं। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, स्थानीय निवासियों के नाम नगर निगम के रिकॉर्ड में गृह कर रजिस्टर में दर्ज किए गए हैं और वे नियमित रूप से गृह कर का भुगतान कर रहे हैं।
5 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती
कुमाऊं रेंज के डीआईजी निलेश ए भरने ने अतिक्रमण हटाने को लेकर कल बुधवार को कहा था, “हमने अखबारों में (जमीन खाली करने के लिए) नोटिस दिया है। 5 पीएसी कंपनियां मौके पर तैनात हैं और 3 पीएसी कंपनियां भी 8 जनवरी तक यहां पहुंच जाएंगी। हमने सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्स की 14 कंपनियां भी मांगी हैं। यहां 4 से 5 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा, “हाईकोर्ट का आदेश लागू होगा। हमने लोगों के साथ कई दौर की बैठकें की हैं और उनसे कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा है।”
नेता भी प्रदर्शन में हो रहे शामिल
इस बीच अतिक्रमण रोधी अभियान के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो गया है और इस प्रदर्शन में राजनीतिक दल भी शामिल हो गए हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे बनभूलपुरा के निवासियों के समर्थन में बुधवार को मौन विरोध जताया तो समाजवादी पार्टी (सपा) का एक प्रतिनिधिमंडल उन लोगों का समर्थन करने के लिए पहुंचा जो रेलवे की अतिक्रमण की गई जमीन से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं।
20 दिसंबर को हाईकोर्ट ने दिया था फैसला
इससे पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिछले महीने 20 दिसंबर को हल्द्वानी में बनभूलपुरा में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करके बनाए गए ढांचों को गिराने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि अतिक्रमण करने वाले लोगों को एक सप्ताह का नोटिस दिया जाए, जिसके बाद अतिक्रमण हटाया जाना चाहिए।
 29 एकड़ जमीन पर धार्मिक स्थल
बनभूलपुरा में रेलवे की कथित तौर पर अतिक्रमण की गई 29 एकड़ जमीन पर धार्मिक स्थल, स्कूल, व्यापारिक प्रतिष्ठान और आवास हैं। रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नौ नवंबर, 2016 को 10 सप्ताह के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

six + one =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।