देश के विभिन्न राज्यों में आगामी दिनों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। जो 2024 के लोकसभा चुनाव का ब्लूप्रिंट होगा। आम चुनाव में जीत हासिल करने के लिए तमाम दल अभी से एक्टिव हो गए हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी उन राज्यों में अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है, जिनमें वह पिछली बार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी। बीते दिन भाजपा ने बड़ा फैसला लेते हुए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ को अपनी टॉप बॉडी यानी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल करके पंजाब में नया दांव चला है।
राज्य की 13 लोकसभा सीटों में से भाजपा के पास मात्र दो ही सीट है। गुरदासपुर से सनी देओल और होशियारपुर से सोम प्रकाश सांसद है। जबकि कांग्रेस के पास 8 सीटे है। भगवा पार्टी पंजाब में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने के लिए नए-नए प्रयास कर रही है। कैप्टन और जाखड़ को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह देना भी इसी का हिस्सा है। आपको बता दें कि भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे दिग्गज शामिल है।
भाजपा में संगठनात्मक निर्णय लेने से लेकर उम्मीदवारों के सिलेक्शन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फैसला सबसे अहम होता है। भाजपा का यह दांव पंजाब में कितना कारगर होगा यह तो 2024 के आम चुनाव में साफ हो जाएगा। आपको बता दें कि पंजाब में अभी तक मुकाबला कांग्रेस और भाजपा-शिरोमणि अकाली दल के गठबंधन में होता था। लेकिन 2020 में भाजपा और शिरोमणि अकाली दल ने अपने 24 वर्ष पुराने गठबंधन हो समाप्त कर दिया था। हालांकि पंजाब में अब कांग्रेस की जगह आम आदमी पार्टी ने ले ली है।
कांग्रेस ने 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी। इसी उदहारण से आप कैप्टन की लोकप्रियता का अंदाजा लगा सकते है। लेकिन 2022 के चुनाव में नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन के बीच चले खींचतान ने कांग्रेस को पंजाब की सियासत से बेदखल कर दिया। अंतः अब यह देखना होगा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का पार्टी को लाभ होगा या भाजपा-आप के बीच मुकाबला होगा। माना जाता है कि पंजाब की सियासत को अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़ ने बारीकी से समझा है। जिसका लाभ अब भाजपा उठाना चाहती है।